Sawan 2021 रतलाम में भी विराजमान हैं महाकाल, उज्जैन मंदिर तक है गुफा
नर्मदा मंदिर पुजारी धनेश द्विवेदी (वंदे महाराज) बताते हैं कि पातालेश्वर महादेव का मंदिर नाम के अनुरूप ही पाताल यानि जमीन के अंदर ही स्थित है। मंदिर का शिवलिंग पृथ्वी की सतह से लगभग 10 फीट की गहराई पर स्थापित किया गया है। मान्यता है कि पातालेश्वर शिवलिंग की जलहरी में प्रतिवर्ष श्रावण माह के एक सोमवार को मां नर्मदा यहां भगवान शिव को अभिषेक कराने पहुंचती हैं। अमरकंटक से ही नर्मदा नदी की उत्पत्ति हुई है।
Sawan 2021 इस प्राचीन मंदिर में प्रकृति स्वयं करती है शिव का अभिषेक
अमरकंटक भगवान शिव की तपस्थली भी है और मां नर्मदा को भगवान शिव की पुत्री के रूप में मान्य किया गया है। पुराणों में यह भी उल्लेख है कि भगवान शिव माता पार्वती के साथ यहीं रुके थे। नर्मदा मंदिर से दक्षिण दिशा की ओर लगभग 100 मीटर की दूरी पर कलचुरी कालीन पातालेश्वर महादेव शिव-विष्णु जोहिला कर्ण मंदिर और पंच मठ मंदिरों का समूह है। इन मंदिरों का निर्माण 10-11 वीं शताब्दी में कलचुरी महाराजा नरेश कर्ण देव ने 1041-1073 के दौरान बनवाया था।
Sawan Somwar महाकाल का अनूठा श्रृंगार, दर्शन के लिए नियत किया यह समय
जनश्रुति के अनुसार इस मंदिर की स्थापना आद्य गुरु शंकराचार्य ने की थी। पातालेश्वर महादेव का मंदिर विशिष्ट प्रकार से पंचरथ शैली में बना है। 16 स्तंभों में आधार वाले मंडप सहित यह मंदिर निर्मित किया गया है। भूमिज शैली के पातालेश्वर महादेव मंदिर कई सदी पुराना होने से साधना स्थल के रूप में भी विख्यात है। माना जाता है कि इस शिव मंदिर में शिव साधना फलदायी होती ही है।