अमरोहा के मोहल्ला चाहगौरी निवासी स्वर्गीय सिकंदर मिर्जा की बेटी खुशबू मिर्जा भी चंद्रयान मिशन-2 से जुड़ी हुई है। ये रिसर्च टीम का अहम हिस्सा और इसरो में साइंटिस्ट हैं। खुशबू मिर्जा के चंद्रयान मिशन से जुड़ी होने की वजह से अमरोहावासी खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे है। खुशबू के भाई चौधरी खुशतर मिर्जा का कहना हैं कि उन्हें खुशबू की उपलब्धि पर गर्व है। उसने पूरे देश का गौरव बढ़ाया है। इससे पहले खुशबू चंद्रयान-1 की चेकआउट टीम की लीडर रह चुकी है। भारत ने साल 2008 में अपना पहला मिशन चंद्रयान-1 लॉन्च किया था।
ट्विटर पर राष्ट्रपति भी कर चुके हैं हौसला अफजाई खुशबू मिर्जा का हौसला अफजाई राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी कर चुके है। वर्ष 2018 महिला दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक ट्विट किया। ट्विट में एएमयू की शान बढ़ाने के लिए मुमताज जहान और इस्मत चुगताई की तारीफ की। साथ ही उन्होंने खुशबू मिर्जा की भी हौसला अफजाई की।
मिशन चंद्रयान—1 2008 में भारत को चंद्रयान-1 को चंद्रमा की कक्षा में भेजने में सफलता हासिल की थी। यह मिशन अक्टूबर 2008 से सितंबर 2009 तक चला था। चंद्रयान-1 को 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अंतरिक्ष में भेजा गया था। यह 8 नवंबर 2008 को चंद्रमा पर पहुंचा। चंद्रयान ने लगभग चंद्रमा की कक्षा में करीब 312 दिन बिताए। इसका उद्देश्य अंतरिक्ष में भारत की तकनीक का प्रदर्शन करने के साथ.साथ चंद्रमा के विषय में अन्य जानकारी जुटाना भी था। सितंबर 2009 में नासा ने कहा था कि चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर बर्फ़ होने के सबूत दिए हैं।
यह है चंद्रयान-2 का मिशन अनुमान है कि चंद्रयान-2 6 या 7 सितंबर को चांद की सतह पर उतर जाएगा। इससे पहले भारत ने 2008 में चंद्रयान-1 को चंद्रमा की कक्षा में भेजने में सफलता हासिल की थी, यह चंद्रयान चंद्रमा पर नहीं उतर सका। 10 साल बाद दोेबारा भारत दूसरी बार चंद्रयान भेजने का मिशन पूरा करने जा रहा है। यह भारत में बनने जीएसएलवी मार्क III रॉकेट को अंतरिक्ष में लेकर जाएगा। इससे उतरने में करीब 15 मिनट लगेंगे। हालांकि भारत पहले कभी चंद्रयान को चंद्रमा पर उतारने में सफल नहीं हुआ है, लिहाजा तकनीकि रुप से यह मुश्किल भरा पल होगा। इसरो का कहना है कि अच्छी लैंडिंग के लिए अच्छे प्रकाश और समतल सतह की आवश्यकता होती है। वह दक्षिणी हिस्से में मिल जाएगा। इसके अलावा उम्मीद है कि उस हिस्से में पर्याप्त सौर ऊर्जा और पानी के साथ-साथ खनिज मिल सकती है। इसरो के मुताबिक वहां चट्टानों को देख कर मैग्निशियम, लोहे, कैल्शियम जैसे खनिज को खोजने का प्रयास किया जाएगा।
जानिए खुशबू मिर्जा के बारे में— मोहल्ला चाहगौरी की रहने वाली खुशबू मिर्जा का जन्म 30 जुलाई 1985 को हुआ था। खुशबू ने शहर के ही कृष्णा बाल मंदिर स्कूल से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की। उसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एमएमयू) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से बीटेक किया। खुशबू अपने बैच की गोल्ड मेडलिस्ट रही। इसरो की साइंटिस्ट ख़ुशबु मिर्ज़ा इससे पहले भारत की महत्वाकांक्षी चंद्रयान-1 चेक आउट डिवीज़न के 12 सदस्यों में से एक रह चुकी है। ये उस टीम की सबसे छोटी सदस्य थी। 12 सदस्यीय टीम में उनका काम कृत्रिम परिस्थितियों में उपग्रह के तमाम पुर्ज़ों पर तरह-तरह के परीक्षण करना था। चंद्रयान-2 मिशन में वे रिसर्च टीम का हिस्सा है।
नकारात्मक सोच को भी बदला इसरो के चंद्रयान मिशन का हिस्सा बनकर छोटे शहर और मुस्लिम महिलाओं से जुड़ी हुई तमाम नकारात्मक छवियों के मिथक को भी तोड़ा है। दिल्ली से करीब 200 किमी की दूरी पर स्थित चाहगौरी मोहल्ला आम मुस्लिम आबादी है। इस मोहल्ले में जाने के लिए एकमात्र रास्ता है, वह भी महज 6 फुट चौड़ा और घुमावदार है। यहां रहने वाले लोगों को अक्सर कीचड़ और गंदगी के बीच से गुजरना होता है। इसी रास्ते से मिर्जा परिवार तक पहुंचा जा सकता है। स्वर्गीय सिकंदर मिर्जा की बेटी खुशबू तीन संतानों में से एक हैं, जिनकी तारीफ़ आज भारत का राष्ट्रापति भी कर रहे हैं। साथ ही पूरे देश को उसपर गर्व है।
मां की मेहनत से बेटी ने छूआ आसमान खुशबू के सिर से बचपन में ही पिता का साया उठ गया था। उनके परिवार में उनकी मां फरहत मिर्जा के अलावा बड़ा भाई चौधरी खुशतर मिर्जा और बहन महक हैं। फरहत मिर्जा ने ही अपनी तीनोंं की बच्चों की परवरिश की। साथ ही उन्हें बेहतर तालीम दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
मिशन की कामयाबी के बीच रमजान में रखे रोजे खुशबू मिर्ज़ा के मुताबिक, चंद्रयान-2 के मिशन को सफल बनाने में एक साल और दस महीने तक कड़ी मेहनत की। ‘इसरो में काम करते हुए भी मैंने रमज़ान के पाक माह के रोज़े रखे और नमाज़ पढ़ी। परीक्षण केंद्र में ही ईद भी मनाई’।
वॉलीबॉल की भी हैं बेहतरीन प्लेयर अगर कुछ करने का जूनुन होता है तो वह कर गुजरता है। खुशबू इंजीनियरिंग तक ही सीमित नहीं रही। ये ज़िला स्तर की वॉलीबॉल की खिलाड़ी भी रही है। इंटरमीडिएट की पढ़ाई के दौरान गेम्स में भी हिस्सा लेती रहती थी। उसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया और बीटेक की पढ़ाई की।
एमएमयू में छात्र संघ चुनाव लड़ने वाली पहली लड़की है खुशबू अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी मेंं बीटेक की पढ़ाई के दौरान खुशबू ने छात्र संघ चुनाव में हिस्सा लिया। छात्र संघ चुनाव में उन्हें सफलता तो हासिल नहीं हुई। लेकिन, दूसरी लड़कियों को चुनाव में भाग लेने के लिए प्रेरित करने में जरुर कामयाब रही।