अमरोहा

Video: एसडीएम ने बनाया Whatsapp से ग्रामीणों की समस्‍याएं सुलझाने का सिस्‍टम

Highlights

Amroha में तैनात हैं एसडीएम मांगे राम चौहान
लोगों को पेड़ लगाने के लिए भी प्रेरित करते हैं एसडीएम
ग्राम पंचायत शिकायत पंजिका के जरिए निपटाईं शिकायतें

अमरोहाJan 22, 2020 / 02:56 pm

sharad asthana

अमरोहा। जनपद में तैनात एसडीएम (SDM) मांगे राम चौहान का नाम वैसे तो पर्यावरण प्रहरी के तौर पर जाना जाता है। वह अब तक 8000 से ज्‍यादा पौधे लगवा चुके हैं। अपनी धरती को बचाने के लिए वह हजारों को न केवल पेड़ लगाने के लिए प्रेरित कर चुके हैं, बल्कि खुद भी कई धरती को हरा- भरा बनाने में अपनी भूमिका निभा चुके हैं। उनका एक कार्य चर्चा का विषय बन चुका है। इसकी ग्रामीण तारीफ करते हुए नहीं थकते हैं।
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ऐसा करके पेड़ों को भी बचाया

अमरोहा (Amroha) की तहसील नौगांवा सादात और मंडी धनौरा में तैनात रह चुके एसडीएम मांगे राम चैहान ने ग्राम पंचायत शिकायत पंजिका के जरिए ग्रामीणों की शिकायतें निपटाने का अनोखा तरीका निकाला था। उनके ट्रांसफर के बाद भी यह सिस्‍टम अब भी वहां चल रहा है। मांगे राम चौहान का कहना है कि ग्रामीण तहसील या थाने में शिकायतों के चक्‍कर काटते हैं। साथ ही बार-बार अप्‍लीकेशन देने से कागज का भी नुकसान होता है। इससे पेड़ों को भी क्षति पहुंचती है। इससे निपटने के लिए ग्राम प्रधानों के साथ मिलकर विचार किया गया। इसके बाद ग्राम स्‍तर पर एक शिकायत पंजिका रखवाई गई, जिसे ग्राम पंचायत शिकायत पंजिका कहा गया।
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ऐसे की जाती है समीक्षा

उनके अनुसार, इसके तहत ग्रामीण ग्राम प्रधान के पास जाकर अपनी शिकायत उसमें लिख सकता है। ग्रामीण के हस्‍ताक्षर या अंगूठा लगाते ही शिकायत रजिस्‍टर हो जाती है। इसके तहत पांच विभागों राजस्‍व, विकास, आपूर्ति, पुलिस और बिजली से जुड़ी समस्‍याओं को रखा गया। इन शिकायतों को व्‍हाट्स ऐप (Whatsapp) के माध्‍यम से संबंधित विभागों को भेजा जाता है। कर्मचारियों ने उसी क्रम में शिकायतों का निस्‍तारण करने का काम किया। इसके अच्‍छे परिणाम सामने आए हैं। उन्‍होंने सबसे पहले धनौरा तहसील के सभी गांवों में यह शिकायत पंजिका रखवाई थी। कलाली गांव में सबसे पहले इसके परिणाम दिया था। इसकी समीक्षा का मासिक प्‍लान बनाया गया था। इसके तहत लेखपाल ग्राम प्रधानों से कॉर्डिनेट कर इसकी रिपोर्ट देता है। पिछले साल 14 नवंबर को उनका ट्रांसफर जनपद मुख्‍यालय में हो गया था। अब भी वहां कई गांवों में यह सिस्‍टम चल रहा है।

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