कुए से खेती करते थे गुरू देव
करतारपुर साहब से लौटे सिख श्रद्धालु बाबा दर्शन सिंह ने बताया की नई इमारत के पीछे पुराने स्थान था यह स्थान काफी छोटा था जहां पर श्री गुरु नानक देव जी की चादर का संस्कार किया गया था अंदर संगत श्रद्धा से नतमस्तक हो रही थी पांच कदम की दूरी पर कुआं था, जो संगमरमर से तैयार किया गया था। इसी कुएं से श्री गुरुनानक देव जी पानी निकालकर खेती करते थे। दूसरी तरफ बड़ा दीवान हॉल था, जहां पर दीवान सजाए जाते हैं। इस हॉल को भी हाल ही में नया बनाया गया है। अंदर सफेद रंग किया गया है और उसे संगमरमर से तैयार किया गया था।
फकीरखाना म्यूजियम
उन्होंने बताया की म्यूजियम में कई पेंटिंग थी, जो फकीरखाना म्यूजियम की तरफ से तैयार की गई थी। इसके अलावा करतारपुर कॉरिडोर का पूरा नक्शा और पुरानी फोटोग्राफ थी। इसके पीछे नई इमारत में लंगर घर था। श्री करतारपुर साहिब गुरुद्वारा पुराने स्थान पर था। यहां एक काफी छोटा था, जहां पर श्री गुरु नानक देव जी की चादर का संस्कार किया गया था। अंदर संगत श्रद्धा से नतमस्तक हो रही थी। उसके ऊपर श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश था।
40 एकड़ में है गुरूद्वारा परिसर
गुरुद्वारा साहिब की बाहरी दीवार फूलों से सजी हुई थी। इंटरलाकिंग टाइल्स लगी हुई थीं और पार्किंग से लेकर संगत के स्वागत का पूरा प्रबंध था। गुरद्वारा करतारपुर साहिब के दरबार साहब में अंदर कीर्तन चल रहा था। अंदर जाते ही पाकिस्तान के कुछ लोग गाइड कर रहे थे कि बायीं तरफ म्यूजियम है, जहां पर अच्छी पेंटिंग व तस्वीरें हैं। उसके पीछे लंगर हॉल था, सारी इमारत नई बनी थी। वहां मौजूद लोग बताने लगे कि गुरुद्वारा साहब का नया परिसर 40 एकड़ में तैयार किया गया है। आप इस परिसर में घूमो और इसकी खूबसूरती का आनंद लो तुसी बाबे दे दर ते आए हो थे मानवता का संदेश देता जांदा है।