पंजाब कृषि विश्वविद्याय के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर प्रो.सुखविंदर सिंह की रिपोर्ट मुताबिक पिछले 17 सालों में लुधियाना, संगरूर, बरनाला, मानसा, बठिंडा, मोगा आदि जिलों में 14 हजार 600 किसानों ने खुदकुशी की। सबसे अधिक आत्महत्याएं पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के गृह जिले मुक्तसर में हुई, दूसरे नंबर पर मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के जिला पटियाला व तीसरे नंबर पर जिला फरीदकोट रहा। सब से कम होशियारपुर, रोपड़, मोहाली फतेहगढ़ साहिब में हुई। जबकि अभी गुरू नानक विश्वविद्यालय मृतसर से जानकारी मिलनी बाकी है।
प्रिंसीपल इनवैस्टिगेटर प्रो.सुखविंदर सिंह के अनुसार सेंटर फॉर रिसर्च इन इकनॉमिक चेंज के नेतृत्व में पंजाब के तीन कृषि विश्वविद्यालयों तथा पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला की रिपोर्ट के मुताबिक फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब, होशियारपुर, पटियाला, रूपनगर, एसएएस नगर, मुक्तसर साहिब में 2000 से 31 दिसंबर 2016 तक 1674 खुदकुशियां हुई, जिनमें 781 किसान व 893 खेत मजदूर थे। रिपोर्ट मुताबिक खुदकुशियां करने वालों में 28.53 फीसदी छोटे किसान, 36.47 फीसदी मध्यम वर्गीय किसान व 18.24 फीसदी बड़े किसान शामिल थे।
विश्वविद्यालयों की रिपोर्ट के अनुसार आत्महत्या करने वाले किसानों में अधिकतर किसान अनपढ़ या प्राइमरी पास ही थे। बहुत ही कम किसान मैट्रिक पास थे। कम शिक्षा होने कारण खुदकुशियों का कारण रहा। क्योंकि अनपढ़ता के कारण किसान खेती के अलावा कमाई का कोई दूसरा साधन नहीं बना सके।
किसानों व खेत मजदूरों द्वारा अधिक सल्फास की गोलियां, कीटनाशक पदार्थों के अलावा खुद को फंदा लगाकर मौत का कारण रहा है। इसके अलावा आमदन से अधिक कर्ज को लेकर प्रतिष्ठा के लिए किए जा रहे विवाह भी कर्ज का अहम कारण है। आमदन से अधिक खर्च भी खुदकुशियों का अहम कारण बन रहे है।