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पाकिस्तान से अस्थियां विसर्जित करने आएं 70 हिंदू परिवार, छलका दर्द-”इस वजह से नहीं जाना चाहते वापस”

पाकिस्तान (Pakistan News) में धार्मिक प्रताड़ना झेलते हुए जिल्लत की जिंदगी जीने वाले हिंदुओें (Pakistani Hindu) में शामिल (Pakistani Hindu’s Life) यह परिवार (Hindu Life In Pakistan) अब (Minority In Pakistan) वापस (Citizenship Amendment Act) नहीं (CAA) जाना (Attari Border) चाहते…

अमृतसरFeb 03, 2020 / 10:51 pm

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पाकिस्तान से अस्थियां विसर्जित करने आएं 70 हिंदू परिवार, छलका दर्द-”इस वजह से नहीं जाना चाहते वापस”

(अमृतसर,धीरज शर्मा): पाकिस्तान में रहने वाले 70 हिंदू परिवार अपने परिजनों की अस्थियां हरिद्वार में विसर्जित करने के लिए वीजा लेकर पंजाब की अटारी बॉर्डर होते हुए सोमवार को भारत पहुंचे। पाकिस्तान में धार्मिक प्रताड़ना झेलते हुए जिल्लत की जिंदगी जीने वाले हिंदुओें में शामिल यह परिवार अब वापस नहीं जाना चाहते। भारत की सीमा में कदम रखते ही इनका दर्द छलक उठा।

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आज भी देते हैं काफिर का ताना…

सिंध से आए विजय कुमार, रमेश और मनोज (सभी नाम सुरक्षा की दृष्टि से बदल दिए गए हैं) ने बताया कि पाकिस्तान में हिंदुओं का बुरा हाल है। ऐसा कोई पराए लोगों के साथ भी नहीं करता जैसा बरताव वहां के लोग हमारे साथ करते हैं। उन्होंने बताया कि ”उनके लिए आज भी हम काफिर हैं औ वैसी ही जिंदगी जीने के लिए हमे मजबूर किया जाता है। ‘काफिरों या तो हमारा धर्म अपना लो या फिर यहां से चले जाओ इस तरह के तानों का हमें रोज सामना करना पड़ता है। वहां के सैंकड़ों हिंदू परिवार भारत आने को तैयार बैठे हैं।”

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धर्म परिवर्तन को लेकर कही यह बात…

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के धर्म परिवर्तन के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि जबरदस्ती हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराया जाता है। हिंदू बच्चियों को इसलिए पढऩे नहीं भेजा जाता, क्योंकि कभी भी उन्हें अगवा कर धर्म परिवर्तन करने के बाद निकाह कर लिया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जहां पहुंच कर वह खुद को सुरक्षित और आजाद महसूस करते हैं। अपनी दास्तां बयां करते हुए इन्होंने भारत सरकार से यहां बसने की इजाजत मांगी।

 

सीएए के विरोध के बीच सामने आई दर्दभरी कहानी…

बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश के कई इलाकों में प्रदर्शन हो रहा है। इस कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक जिनमें—हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी शामिल है, उन्हें धार्मिक प्रताड़ना के आधार पर भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है।

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