नलिनी ने खुद को कहा था बेकसूर
जेल से बाहर आने के बाद नलिनी ने कहा था, “हमारा परिवार तो खुद कांग्रेस का समर्थक रहा है। जब इंदिरा गांधी की हत्या हुई थीं, हमने पूरा दिन कुछ नहीं खाया था। राजीव गांधी की हत्या के बाद तो हमारा पूरा परिवार रोया था लेकिन मुझ पर उनकी ही हत्या का आरोप लग गया। मैं बस इतना जानती हूं कि मैं निर्दोष हूं। मैंने किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के पीछे कौन था, इसमें मैं किसी का नाम नहीं लूंगी। अगर ऐसा करना होता तो फिर मैं 32 सालों तक जेल में नहीं होती।
1991 में हुई थी राजीव गांधी की हत्या
पूर्व पीएम और उस समय अमेठी से सांसद राजीव गांधी की 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली के दौरान धनु नाम की लिट्टे की एक आत्मघाती हमलावर ने हत्या कर दी थी। हमले में राजीव गांधी और हमलावर धनु समेत 16 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। 45 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस केस में निचली अदालत ने 26 दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी। 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने 19 लोगों को बरी कर दिया और चार अभियुक्तों- नलिनी, मुरुगन, संथन और पेरारिवलन को मौत की सजा सुनाई। तीन लोगों रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार को उम्रकैद की सजा मिली। बाद में जिनको मौत की सजा मिली, उसे भी उम्रकैद में बदल दिया गया। नवंबर 2022 में सभी जेल से छूट गए।