हथियार नहीं डालेगी कांग्रेस राजनीतिक जानकार राहुल गांधी के आज के अमेठी दौरे को लेकर काफी उत्सुक हैं। उनके मुताबिक राहुल का अमेठी आना इस बात की तरफ इशारा है कि कांग्रेस अपने गढ़ में किसी भी कीमत पर हथियार नहीं डालेगी। अगले पांच साल भी यहां राहुल और केंद्रीय मंत्री स्मृति के बीच सियासी लड़ाई जारी रहेगी। जिससे कांग्रेस राहुल गांधी के सहारे एक बार फिर यहां की जनता में विश्वास पैदा कर सके।
कैसा रहा अमेठी का राजनीतिक गणित – तीन जिलों (अमेठी, रायबरेली और सुलतानपुर) में फैला है अमेठी संसदीय क्षेत्र। – राहुल गांधी अमेठी में सोनिया गांधी के सांसद रहते हुए 2002 में राजनीति में सक्रिय हुए थे।
– 2004, 2009 व 2014 के आम चुनाव में राहुल को अमेठी की जनता ने अपना सांसद चुना। – विधानसभा के साथ ही पंचायत व नगर निकाय के चुनावों में जनता ने कांग्रेस को किनारा ही रखा।
– 2017 के विधान सभा चुनाव में भी अमेठी की एक भी सीट पर पार्टी के प्रत्याशी नहीं जीते। – पंचायत चुनाव के साथ नगरीय निकाय के चुनाव में भी कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा।
– पहली बार राहुल 2002 में बहन प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ उनका दौरा हुआ।