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सौ साल से कंकड़-पत्थर खा कर जिंदगी गुज़ार रहे ये महंत, नहीं हुई कोई बीमारी

अमेठी के महात्मा सती प्रसाद ने अपने जीवन के सौ वर्षों में नदी का पानी, नदी के बालू, कंकड़ और मिट्टी खाकर व्यतीत किए हैं

अमेठीJun 05, 2019 / 03:50 pm

Karishma Lalwani

सौ साल से कंकड़-पत्थर खा कर जिंदगी गुज़ार रहे ये महंत, नहीं हुई कोई बीमारी

अमेठी. अन्न पर ही जीवन निर्भर करता है। स्वस्थ जीवन के लिए पौष्टिक आहार ग्रहण करना जरूरी होता है। लेकिन अमेठी में एक ऐसा व्यक्ति है, जो कंकड़ और पत्थर खाकर जीता है। जनपद के महात्मा सती प्रसाद ने अपने जीवन के सौ वर्षों में नदी का पानी, नदी के बालू, कंकड़ और मिट्टी खाकर व्यतीत किए हैं।
पैदल कर चुके हैं विभिन्न देशों की यात्रा

अमेठी के ग्रामसभा गौरा प्राणी पिपरी में जन्में सती प्रसाद महाराज की सौ साल की जिंदगी में कोई तीर्थ स्थल ऐसा बाकी नहीं जहां वह दर्शन के लिए नही गए हों। नेपाल, भूटान और वर्मा जैसे देशों की यात्रा वे पैदल कर चुके हैं। गोमती नदी के किनारे निवास करने वाले सती प्रसाद महाराज ने अपने जीवन का आधा हिस्सा कंकड़, पत्थर, मिट्टी, बालू खाकर बिता दिए। इसके बाद भी उन्हें किसी प्रकार की बीमारी व परेशानी तक नहीं हुई। सौ वर्ष की अवस्था में भी सती प्रसाद दिन में एक से दो बार कंकड़-पत्थर का सेवन करते हैं। हालांकि, बुढ़ी उम्र में झुकी कमर और हाथ में लाठी लेेकर वे चलते हैं। लेकिन उनके खानपान में कंकड़-पत्थर मुख्य रूप से शामिल रहता है। सती प्रसाद इस वजह से अपने एरिया में चर्चा का विषय बने रहते हैं।
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