तस्वीरें हैं गांधी-नेहरु परिवार से जुड़े अमेठी ज़िले के मुसाफिरखाना-गौरीगंज रोड पर स्थित नन्दमहर धाम की, जहां पर भक्तों में अंधविश्वास आज भी हावी है। स्थानीय लोगों के अनुसार, जैसे ही लोग धाम में इंट्री करते हैं, तो वहां अपनी अंधविश्वास की दुकान लगा कर लोगों का भूत उतारने का दावा करने वाले अपनी दुकान सजाये बैठे होते हैं।
नंद महर धाम पर कार्तिक माह में पूर्णमासी को बड़ा मेला लगता है, दो दिन तक चलने वाले इस मेले में रात और दिन लोगों का जन सैलाब उमड़ता है। लेकिन ये कहा जाये तो ग़लत नहीं होगा कि आमतौर से दुनिया जिस भी ढंग से निवास कर रही हो लेकिन नंदमहर धाम के कैम्पस में एक अलग ही दुनिया निवास करती है। वो दुनिया है अंध विश्वास की। भूत-प्रेतों के आतंक से दो-चार लोग अंध विश्वास की चपेट में आकर यहां दर-दर भटकने को मजबूर हैं।
आपको बता दें कि ये धाम मान्यताओं का धाम है, यही कारण है के अब तक पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी और उत्तर प्रदेश के कई पूर्व मुख्यमंत्री भी बाबा नंदमहर धाम मंदिर में मत्था टेक चुके हैं।
इस धाम पर आपको तमाम ऐसे लोग मिल जाएंगे, जो उछल-कूद करते नजर आएंगे। ये वही लोग हैं जिनके लिये कहा जाता है कि इन पर भूतों की सवारी है। जब ये यहां धाम में पहुंचते हैं, तो यहां पर गांव के अलग-अलग लोग जिन्होंने अपनी भूत उतारने की दुकान खोल रखी है ये फौरन उनके पास पहुंच जाते हैं। फिर ये बहरुपिए इन प्रेत पीडितों पर जैसे ही हाथ फेरते है तो उनके ऊपर भूतों की सवारी शुरू हो जाती है।
लोगों का मानना है कि यहां हर मर्ज की दवा मिलती है। लोग ये कहते हैं कि ये इस धाम की महानता है, लेकिन सवाल ये है कि अगर धाम की महानता है तो जो लोग यहां पर अपनी दुकान क्यों खोल कर बैठे हैं? यहां उनका क्या काम है? दरअस्ल ये बातें धर्म, जाति और मज़हब पर चोट करने के लिये नहीं है बल्कि जागरूकता की दृष्टि से लोगों को सच बताने के लिये हैं। इस धाम के लिये सच भी यही है कि अगर अंध विश्वास से हटकर यहां इलाज के लिये आया जाये तो कोई ऐसा मर्ज नहीं, जिसका इलाज यहां न हो।