‘सबूतों के अभाव’ में आरोपी बरी
यह मामला साल 2006 का है। श्रीलंका के पूर्वोत्तर शहर त्रिंकोमाली में पांच तमिल छात्रों की हत्या हुई थी, जिसमें 13 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था। श्रीलंकाई मजिस्ट्रेट ने हाल ही में सभी 13 अभियुक्तों को बरी किया। मजिस्ट्रेट ने तीन जुलाई को पुलिस स्पेशल टास्क फोर्स (STF) के 12 सदस्यों और एक पुलिस अधिकारी को ‘सबूतों के अभाव’ के कारण बरी कर दिया था। मंगलवार को ह्यूमन राइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल इस फैसले पर प्रतिक्रिया दी है।
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न्याय करा पाने में असमर्थ श्रीलंका
उन्होंने कहा कि त्रिंको फाइव’ हत्या मामले ने दुनियाभर का ध्यान खींचा था। तीन दशक पुराने गृहयुद्ध के दौरान हुए गंभीर अपराधों के लिए श्रीलंकाई सरकारों की जवाबदेही सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता के लिए यह मामला एक तरह से मानक था। ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा, ‘श्रीलंकाई अधिकारी पर्याप्त सबूत उपलब्ध होने के बावजूद पांच युवाओं की हत्याओं के मामले में न्याय करा पाने में असमर्थ साबित हुए हैं।’
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संस्था ने अपने बयान में आगे कहा कि 13 साल बाद भी इस मामले में किसी को भी दोषी ठहराने में विफलता रही। ऐसे में यह जरूरत लगती है कि अंतरराष्ट्रीय भागीदारी वाली अदालत इन मामलों में सक्रिय हो। आवश्यकता है कि ऐसे अपराधों के पीड़ितों और गवाहों की उचित सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए।
क्या था मामला?
गौरतलब है कि 2 जनवरी 2006 को, त्रिंकोमाली समुद्र तट पर नए साल के जश्न के बीच, श्रीलंकाई सुरक्षा बलों ने पांच छात्रों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके साथ ही दो अन्य भी गंभीर रूप से घायल हुए थे। इसके बाद सरकार ने बिना सबूत के फौरन दावा किया था कि मारे गए युवक तमिल टाइगर विद्रोही थे। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि ‘त्रिंको फाइव’ मामले में लोगों को बरी किए जाने का मतलब है कि हत्या के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा दिलाने के लिए सरकार का दायित्व अभी बना हुआ है।