अफगानिस्तान से अमरीकी सेना बुलाने और वहां को लेकर नई रणनीति क्या होगी, इस पर जो बिडेन बार-बार रुख बदल रहे हैं। इस वजह से अमरीकी सेना की अफगानिस्तान छोडऩे की समय-सीमा अब तक तीन बार बदली जा चुकी है। हालांकि, तारीख बदलने को लेकर अमरीकी राष्ट्रपति जो बिडेन हर बार सफाई भी पेश करते रहे हैं।
अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप ने फरवरी 2020 में तालिबान के साथ शांति समझौता किया था। तब उन्होंने अफगानिस्तान छोडऩे की तारीख 1 मई 2021 निर्धारित की थी। ट्रंप चाहते थे कि लंबे समय से अफगानिस्तान में चल रहे युद्ध को अब खत्म किया जाए, जिससे अमरीकी हितों की रक्षा की जा सके।
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मगर जनवरी 2021 में ट्रंप की कुर्सी गई और जो बिडेन नए राष्ट्रपति बने, तब बिडेन ने अंतिम तारीख की समीक्षा करने का ऐलान किया। तमाम समीक्षाओं के बाद बिडेन ने गत 14 अप्रैल को अफगानिस्तान छोडऩे की तारीख को चार महीने तक टालने का फैसला किया। उन्होंने अंतिम तारीख 11 सितंबर 2001 को वल्र्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले की 20वीं बरसी पर तय किया, यानी नई तारीख 11 सितंबर 2021 तय की गई। अमरीकियों समेत कई और लोगों को जो बिडेन की यह नई तारीख पसंद नहीं आई और इसे अमरीका के अपमानभरा निर्णय बताया गया, जिसके बाद बिडेन ने इस तारीख को बदलने का निर्णय लिया। नई समीक्षा रिपोर्ट के बाद उन्होंने इसे 31 अगस्त किया, लेकिन तब बिडेन को अंदाजा नहीं था कि तालिबान इतनी तेज गति से काबुल की ओर बढ़ रहा है। हाल यह रहा कि तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर भी कब्जा जमा लिया।
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अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन समेत कई देशों के करीब 71 हजार से अधिक लोग अब तक अफगानिस्तान छोड़ चुके हैं। 21 हजार लोगों ने तो पिछले 24 घंटों के दौरान छोड़ा, लेकिन ब्रिटेन समेत कई देशों के लिए 31 अगस्त तक अपने सभी नागरिकों को सुरक्षित निकाल ले जाना मुश्किल होता दिख रहा है। हालांकि, काबुल एयरपोर्ट पर अब भी अमेरिकी सैनिकों का पहरा है। अमेरिकी लोग भी चिंतित हैं कि कहीं उनके लोग भी ना छूट जाएं। बिडेन के सत्ता में आने तक अफगानिस्तान में केवल 2500 अमरीकी सैनिक बचे थे। इसके अलावा वहां 16 हजार अन्य नागरिक और ठेकेदार मौजूद थे। मगर अचानक काबुल पर तालिबान का कब्जा होने के बाद अपने लोगों को निकालने के लिए अमरीका को और सैनिक भेजने पड़े। इस समय काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा में करीब 6 हजार अमरीकी सैनिक तैनात हैं।