विस्तार के बाद पनामा नहर ने बड़े जहाजों के लिए खोली राह
दुनिया के आठवें अजूबे के नाम से मशहूर और बेहतरीन इंजीनियरिंग का नमूना
कहे जाने वाली पनामा नहर को खोल दिया गया है
पनामा सिटी। दुनिया के आठवें अजूबे के नाम से मशहूर और बेहतरीन इंजीनियरिंग का नमूना कहे जाने वाली पनामा नहर अब एक नए रूप में दुनिया के सामने है। दो वर्षों की देरी के बावजूद जब रविवार को नहर की विस्तारित लेन का उद्घाटन किया गया तो समूचा देश उमड़ पड़ा।
विस्तारित नहर से 2021 तक सालाना आय में 14 हजार करोड़ रुपए से अधिक वृद्धि दर्ज करने का लक्ष्य रखा गया है, जो अब तक सात हजार करोड़ वार्षिक थी। नहर का विस्तार इस मकसद से किया गया है कि विशालकाय जहाज भी इस मार्ग से होकर गुजर सके। अटलांटिक और प्रशांत महासागर को जोड़कर आज से 100 वर्ष पूर्व जब इस नहर का उद्घाटन किया गया तो इसे पनामा की ‘आर्थिक नहर’ नाम दिया गया था। तब से लेकर आज तक पनामा को यह नहर आर्थिक रूप से मजबूत करती रही। हालांकि लंबे समय से नहर अमरीका की देखरेख में भी रही थी।
इसके बावजूद नहर पनामा की राष्ट्रीय आय का प्रमुख स्रोत रही और अब यही नहर राष्ट्र के लिए नए सिरे से अहम आर्थिक भूमिका निभाने को तैयार है। 2020 तक माल ढुलाई का 40 फीसदी बाजार विशाल जहाजों पर निर्भर होगा। पनामा चाहता है कि नहर इस कारोबार का फायदा उठाए।
खासियत
– 80 किमी लंबी है पनामा नहर की लंबाई
– 2007 में शुरू हुआ था विस्तार का काम
– 36,000 करोड़ रुपए लगे नहर के निर्माण में
– 30,000 लोग एकत्रित हुए उद्घाटन समारोह में
– 1.80 लाख टन से 2 लाख टन भारी जहाज भी नहर से गुजर सकेंगे।
एशिया को फायदा
पनामा नहर परियोजना के अधिकारियों का कहना है कि इससे अटलांटिक सागर के बंदरगाहों से एशिया के बीच मालवाहक जहाजों को पहुंचने में करीब 16 दिनों का समय कम लगेगा। बड़े जहाजों का कम समय में एशिया पहुंचने से माल भारी संख्या में एक ही बारी में पहुंच सकेगा। पहले बड़े जहाजों को दक्षिण अमरीका का पूरा चक्कर लगाकर एशिया पहुंचना पड़ता था। एशिया के कई देश अमरीका के पूर्वी तटों के बंदरगाहों पर सोयाबीन, प्राकृतिक गैस और कोयला के लिए निर्भर है।
उत्तर और दक्षिण अमरीका को लाभ
पनामा नहर पूर्वी अमरीका से पश्चिमी अमरीका या फिर यूरोप से पश्चिमी अमरीका जाने वाले जहाजों की 12,669 किलोमीटर की यात्रा बचाती है। अगर पनामा नहर ना हो तो जहाजों को करीब दो हफ्ते तक करीब 13 हजार किलोमीटर लंबा चक्कर लगाना पड़ेगा। नहर के जरिए यह काम 10 घंटे में हो जाता है।
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