पांच साल में एक बार दिया जाता ये सम्मान
आपको बता दें कि यह पुरस्कार मानवाधिकार क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान वाले व्यक्तियों और संगठनों को दिया जाता है। पांच साल में एक बार दिए जाने वाले पुरस्कार के चार विजेताओं में से एक के रूप में आसमा जहांगीर के नाम की घोषणा की गई। इस पुरस्कार को ग्रहण करने के दौरान मुनीजाए ने इसे पाकिस्तानी महिलाओं और उनके साहस को समर्पित किया।
ये सम्मान पाने वाली चौथी पाकिस्तानी महिला हैं आसमा
आसमा के अलावा इस सम्मान की अन्य विजेताओं में तंजानिया की महिला अधिकार कार्यकर्ता रेबेका ग्युमी, ब्राजील की जोएना वापीचाना और आयरलैंड के मानवाधिकार संगठन फ्रंट लाइन डिफेंडर्स शामिल हैं। गौरतलब है कि आसमा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार पुरस्कार से सम्मानित होने वाली चौथी पाकिस्तानी महिला हैं। इससे पहले बेगम राना लियाकत अली खान (1978), बेनजीर भुट्टो (2008) और मलाला यूसुफजई (2013) को यह सम्मान दिया जा चुका है।
फरवरी में हुआ था निधन
आसमा का फरवरी में निधन हो गया था। वो पाकिस्तान की उन गिनी-चुनी आवाजों में से एक थीं जो खुलकर वहां के सैन्य शासन और सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलती थीं। वह मानवाधिकारों के लिए काम करने के साथ-साथ तमाम तनावों और दबावों के बीच भी विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय खुलकर रखने के लिए जानी जाती थीं। इससे पहले भी उन्हें कई सम्मानों से नवाजा गया है, जिनमें हिलाल-ए-इम्तियाज, सितारा-ए-इम्तियाज शामिल है। इसके साथ ही मानव अधिकार पर काम करने के लिए यूनेस्को ने भी उन्हें सम्मानित किया था।
1983 में हुई थी जेल
पाकिस्तान में जब भी उन्हें लोकतंत्र की आवाज खतरे में नजर आई, उन्होंने भी अपनी आवाज बुलंद की। ऐसे ही एक आंदोलन के चलते साल 1983 में उन्हें जेल भी हुई थी। इसके साथ ही 2007 में वकीलों से जुड़े आंदोलन में भी उन्होंने हिस्सा लिया था। उस वक्त भी उन्हें घर में नजरबंद कर दिया गया था।