कितना है कर्ज़?
अमरीका पर कर्ज़ की बात करें, तो यह कोई मामूली राशि नहीं है। अमरीका पर करीब 31.46 ट्रिलियन डॉलर्स का कर्ज़ है। भारतीय करेंसी में इसकी वैल्यू करीब 260 लाख करोड़ रुपये है। इस कर्ज़ को बढ़ने में कई साल लगे हैं। कोरोना महामारी से पहले अमरीका पर 22.7 ट्रिलियन डॉलर्स का कर्ज़ था, जो 3 साल में ही करीब 10 ट्रिलियन डॉलर्स बढ़ गया।
क्या है अमरीका पर बढ़ रहे कर्ज़ की वजह?
अमरीका जब से एक अलग देश बना है, तब से ही उस पर कर्ज़ की शुरुआत हो चुकी है। 4 जुलाई, 1776 को अमरीका की एक देश के रूप में खोज हुई थी। उसके बाद 1 जनवरी, 1791 को अमरीका पर कर्ज़ की गणना की गई। उस समय अमरीका पर करीब 620 करोड़ रुपये का कर्ज़ था, जो समय के साथ बढ़ता चला गया।
इस कर्ज़ के बढ़ने की कई वजहें रही। इनमें महामंदी, सिविल वॉर, वर्ल्ड वॉर 1, वर्ल्ड वॉर 2, अफगानिस्तान, ईरान, रूस-यूक्रेन और इस तरह के दूसरे युद्धों में अमरीका की सैन्य भागीदारी, महंगा हेल्थकेयर, कम टैक्स रेवेन्यू के साथ ही कोरोना महामारी की वजह से भी अमरीका पर कर्ज़ बढ़ा। इसके अलावा भी दूसरी कुछ वजहें ऐसी रही जिनसे अमरीका पर कर्ज़ बढ़ता ही चला गया।
दरअसल दुनियाभर की कई सरकारें खर्चों को पूरा करने के लिए कर्ज़ लेती हैं। ये क़र्ज़ अलग-ा;आग देशों के साथ ही वर्ल्ड बैंक से भी लिया जाता है। पर जब खर्चे देश की कमाई पर भारी पड़ते हैं, तब खर्चों और कमाई के बीच असंतुलन की वजह से कर्ज़ बढ़ता चला जाता है और अमरीका के साथ भी ऐसा ही हुआ।
अमरीका पर मंडरा रहा है डिफॉल्ट होने का खतरा
अमरीका पर कर्ज़ इतना ज़्यादा बढ़ गया है कि अब उन पर डिफॉल्ट होने का खतरा मंडरा रहा है। जब किसी देश की सरकार कर्ज़ को चुका पाने में असमर्थ होती है, तब उसे डिफॉल्ट करार दिया जाता है। ऐसे में अमरीका की अर्थव्यवस्था पर बहुत ही बुरा असर पड़ सकता है और देश की जनता पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा।
क्या है डिफॉल्ट से बचने का उपाय?
अमरीका में राष्ट्रपति जो बाइडन की सरकार कर्ज़ के मामले में डिफॉल्ट होने से बचने के लिए सभी ज़रूरी उपायों में लगी हुई है। बाइडन और उनकी पार्टी विपक्षी सांसदों को मनाने की कोशिश में लगे हुए हैं जिससे कर्ज़ की सीमा बढ़ाई जा सके। दरअसल अमरीका में क़र्ज़ की एक तय सीमा है। पर विपक्षी सांसद खर्चों में कटौती की बात पर अड़े हुए हैं। डिफॉल्ट होने से बचने के लिए अमरीका को कर्ज़ की सीमा बढ़ानी होगी और इसके लिए एक कानून पारित करना होगा।
अगर इस बारे में कानून पारित नहीं होता, तो अमरीका के सामने बड़ा आर्थिक संकट आ जाएगा। इससे बचने के लिए अमरीका को 14वां संविधान संशोधन लागू करना होगा, जिसके अनुसार अमरीका के कर्ज़ की वैधता पर सवाल नहीं उठाया जा सकेगा। पर यह भी आसान नहीं होगा, क्योंकि इससे देश में संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है।
डिफॉल्ट होने की स्थिति में संभव परिणाम
अगर अमरीका डिफॉल्ट होता है, तो देश की अर्थव्यवस्था पर बहुत ही बुरा असर पड़ेगा। सिर्फ अमरीका की ही नहीं, वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ेगा। अमरीका में कई नौकरियों पर तलवार लटक सकती है जिससे बेरोज़गारी बढ़ेगी और मंदी का खतरा पैदा हो सकता है। इतना ही नहीं, अमरीकी स्टॉक मार्केट पर भी इसका बुरा असर पड़ सकता है। आसान शब्दों में कहा जाए, तो डिफॉल्ट होने की स्थिति में अमरीका की अर्थव्यवस्था की कमर टूट जाएगी।