मेडिकल कॉलेज अस्पताल भी अपनी कार्यप्रणालियों की वजह से सुर्खियों में रहने लगा है। यहां जीवित इंसान के साथ जो व्यवहार किया जाता है वह तो जग जाहिर है लेकिन अब मौत के बाद शव के साथ भी अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। ऐसा ही एक मामला रविवार को सामने आया है।
नर्सों ने भी नहीं बताया, फोटो से की पहचान
अस्पताल में भटकने के बाद वह मेडिकल वार्ड में पहुंचा तो वहां मौजूद नर्स ने भर्ती रजिस्टर दिखाने से भी मना कर दिया। इस बीच वार्ड ब्वाय ने उसे जानकारी दी कि दो दिन पूर्व ही उसके भाई की मौत हो चुकी है। बड़ा भाई जब चौकी पहुंचा तो पुलिस ने उसे फोटो दिखाकर पूछा तब उसकी पहचान हो पाई।
एचआईवी पीडि़त था भाई
भाई ने पुलिस को बताया कि मृतक एचआईवी पीडि़त था व उसके पास सारे दस्तावेज आाधार कार्ड व मोबाइल थे। ऐसे में अस्पताल के कर्मचारी उसे लावारिस कैसे बता सकते हैं। अस्पताल के कर्मचारियों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए उसने कहा कि अगर मोबाइल से परिवार वालों का नम्बर देख लिया जाता और समय पर घर वालों को सूचना दे दी जाती तो परिवार के लोग उसका विधि-विधान से अंतिम-संस्कार कर सकते थे।
कचरे में मिले पहचान के दस्तावेज
अपने भाई की पहचान करने के बाद युवक पुन: पुलिस के साथ वार्ड में पहुंचा। उसने बेड के रैक के आसपास छानबीन की तो एक झोले में मोबाइल व सोनोग्राफी रिपोर्ट रखी हुई थी। इसके साथ ही अस्पताल के कचरे के ढेर में मृतक का एचआईवी के उपचार से संबंधित दवा की पर्चियां, दस्तावेज व आधार कार्ड भी पुलिस को मिले। उसे पुलिस ने बरामद कर लिया।
रुपए खत्म होने पर गया हुआ था घर
मृतक के बड़े भाई ने बताया कि वह उसके साथ अस्पताल में था। वह रुपए खत्म होने की वजह से घर गया हुआ था। बैकुंठपुर अस्पताल से जब उसे रेफर किया गया था, तब उसके पास महज 200 रुपए थे।
जांच कराकर करेंगे कार्रवाई
किसी भी अज्ञात व्यक्ति की मौत होती है तो शव को पुलिस के सुपुर्द कर दिया जाता है। जांच व आगे की कार्रवाई पुलिस की जिम्मेदारी होती है। अगर अस्पताल के कर्मचारियों ने लापरवाही की है तो इसकी जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. व्हीके श्रीवास्तव, उपअधीक्षक मेडिकल कॉलेज अस्पताल