सरगुजा में पिछले दो वर्ष में 35 से ज्यादा मुख कैंसर (Mouth cancer) के मरीजों का सफल ऑपरेशन किया गया है। जबकि सरगुजा में कैंसर के ऑपरेशन के लिए भवन व संसाधन की कमी है। गुरुवार को विश्व कैंसर दिवस (World cancer day) के अवसर पर अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज के दंत विभाग में नि:शुल्क कैंसर जांच शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में कई मरीज पहुंचे और अपनी जांच कराई।
‘कैंसर’ बीमारी का नाम सुनते ही शरीर सिहर उठता है। इसका ऑपरेशन अब अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज में होने लगा है। फिलहाल मौजूद सुविधाओं में ओरल कैंसर की सर्जरी की जा रही है। जबकि ओरल कैंसर सर्जरी के लिए भवन व संसाधन की कमी बनी हुई है। मरीजों को भर्ती करने व इलाज के लिए भवन की आवश्यकता पड़ती है जो कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कैंसर पीडि़तों के लिए नहीं है।
मेडिकल कॉलेज अम्बिकापुर के सर्जन डॉक्टर एसपी कुजूर व मैक्सिलोफेशियल डॉक्टर अभिषेक हरीश संसाधन की कमी व समस्या को दूर रख कर हिम्मत व जज्बे के साथ वर्ष 2018 से अब तक 35 मुख कैंसर पीडि़त मरीजों का ऑपरेशन कर चुके हैं जो सफल रहे हैं।
लॉकडाउन में भी 10 ऑपरेशन
लॉकडाउन में भी 10 सफल सर्जरियां की गईं हैं। इनमें से ज्यादातर का इलाज पहले रायपुर में चल रहा था। लॉक डाउन के दौरान जब रायपुर समेत देश व प्रदेश के दूसरे जिलों में कैंसर सर्जरी से इंकार किया जा रहा था, तब मेडिकल कॉलेज अम्बिकापुर के सर्जन डॉक्टर एसपी कुजूर व मैक्सिलोफेशियल डॉक्टर अभिषेक हरीशे मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने प्रयासरत थे।
डॉक्टर कुजूर कहते हैं कि मेडिकल कॉलेज के डीन और एमएस के सहयोग की वजह से ही उनकी टीम और मैक्सिलोफेशियल डॉक्टर अभिषेक सर्जरी कर पाए। इस कार्य में एनेस्थीसिया विभाग के एचओडी डॉ. मधुमिता मूर्ति का योगदान महत्वपूर्ण रहा है।
सर्जरी में देर पर बढ़ता है खतरा
डॉक्टर अभिषेक कहते हैं कि ओरल कैंसर (Oral cancer) की सर्जरी में जितनी देरी होती है उतना मरीज को नुकसान होता है। अम्बिकापुर में इलाज होने से आसपास के मरीजों को फायदा होगा। वे जितनी जल्दी हम तक आएंगे उतनी जल्दी उनकी सर्जरी सम्भव होगी। गुरुवार को विश्व कैंसर दिवस पर लगाए गए कैंसर शिविर में चार मरीजों की पहचान की गई है। इन्हें इलाज के लिए बुलाया गया है।
ओटी की कमी से होती है परेशानी
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में फिलहाल 4 ओटी (ऑपेरशन थियेटर) हैं। इनमें से सर्जिकल और ऑर्थो की ओटी पूरी तरह से चालू हैं। बाकी 2 ओटी पूरी तरह से सर्जरी के लिए तैयार नहीं हैं। कैंसर पेशेंट्स के लिए एक अलग ओटी, ओपीडी, वार्ड एवं आईसीयू की आवश्यकता पड़ती है।