राज्य शासन लोगों को बेतहर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इसी क्रम में अम्बिकापुर मेडिकल कालेज में वायरोलॉजी लैब शुरू होने से यहां कोरोना जांच आरटीपीसीआर की शुरूआत भी हो गई है। इससे रिपोर्ट एक दिन बाद ही मिल जाएगी जिससे लोगों को रिपोर्ट के लिए लम्बे इंतजार नहीं करना पड़ेगा। (Virology lab)
उन्होंने कहा कि राज्य में तीन नये मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए 50-50 करोड़ की स्वीकृति मिली है। शीघ्र ही तीनों मेडिकल कॉलेज क्रमश: कोरबा, कांकेर एवं महासमुन्द में खोलने हेतु भवन एवं अन्य संसाधन हेतु आवश्यक कार्ययोजना तैयार की जाएगी।
सिंहदेव ने कहा कि कोरोना से निपटने के लिए पूर्व में जारी निर्देशो के तहत अधिक से अधिक कोविड सेन्टर स्थापित करने हेतु विकासखण्ड मुख्यालयों में भवन चिन्हांकित कर आवश्यक व्यवस्थाओं सहित सभी तैयारियां सुनिश्चित कर लें। भर्ती मरीजों के भोजन में गुणवत्ता सहित सफाई का विशेष ध्यान रखें।
इस अवसर पर लुण्ड्रा विधायक डॉ. प्रीतमराम, राज्य श्रम कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष शफी अहमद, महापौर डॉ. अजय तिर्की, सभापति अजय अग्रवाल, जिला पंचायत अध्यक्ष मधु सिंह, उपाध्यक्ष राकेश गुप्ता, सीएमएचओ डॉ. पीएस सिसोदिया सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे।
बढ़ाई जाएगी जांच की क्षमता
वहीं माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. कृष्णमूर्ति ने बताया कि लैब में अब तक ट्रायल सैंपल हुए हैं। इसलिए शुरुआती दौर में बहुत ही सावधानी से काम करना पड़ेगा। पहले दिन 18 सैंपलों की जांच कर ट्रायल किया गया था। इसमें सभी सैंपलों की रिपोर्ट निगेटिव थी। मंगलवार को 24 सैंपलों की जांच की जा रही है। यहां धीरे-धीरे सैंपलों की जांच का क्षमता बढ़ाई जाएगी।
अम्बिकापुर लैब में यह है खासियत
मेडिकल कॉलेज अम्बिकापुर परिसर के एक भवन को लैब (Virology lab) के अनुकूल बनाने एवं मशीनरी की व्यवस्था सब मिलाकर लगभग 2 करोड़ खर्च हुए हैं। डॉ. कृष्णमूर्ति ने बताया कि सबसे बड़ी खासियत हमारे लैब की यह है कि इसका डिजाइन जब अप्रूवल के लिए गया तो पहले ही बार में स्वीकृति प्रदान कर दी गई, क्योंकि हमने अपने लैब में हर सेक्शन को अलग-अलग बांटा है जो कि बेहतर है।
यहां पर स्टोर रूम, फैकेल्टी रूम, संक्रमित एरिया, टेस्टिंग एरिया सहित हर सेक्शन को अलग-अलग बांटा गया है ताकि वायरोलॉजी लैब का सही उपयोग हो सके। लैब पर्याप्त स्थान उपलब्ध है, जिसका हमने सदुपयोग किया है। 2 महीने से भी कम समय में इसे पूर्ण किया गया है। संक्रमित क्षेत्र, टेस्टिंग एरिया सहित अन्य जरूरी जगहों को सेंसर डोर के साथ सुरक्षित बनाया गया है। वहीं टेम्परेचर सिस्टम से परिपूर्ण कक्ष तैयार किया गया है।
एक सप्ताह के लिए मिला है किट
माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. कृष्णमूर्ति ने बताया कि फिलहाल एक सप्ताह के लिए किट उपलब्ध हो पाया है, और किट आने वाला है। वह भी जल्द ही मिल जाएगा। यह किट भुवनेश्वर से मिला है। शुरूआत में २४ सैंपलों की जांच की जा रही है। जांच की क्षमता धीरे-धीरे और बढ़ाकर 100 से ज्यादा की जाएगी। इस लैब से भविष्य में हेपेटाइटिस बी, सी, डेंगू, चिकनगुनिया एवं अन्य वायरल बीमारियों की जांच परीक्षण एवं शोध किया जा सकेगा।