कार्य परिषद के ऐसे सदस्य जो कॉलेज के प्राचार्य हैं उन्हें विश्वविद्यालय द्वारा 1 जनवरी को आयोजित कार्यपरिषद की होने वाली बैठक की सूचना दे दी गई है, लेकिन जनप्रतिनिधियों को कोई सूचना नहीं दी गई है।
विश्वविद्यालय प्रशासन बिना जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में कार्य परिषद की बैठक कराने की तैयारी कर चुका है। कार्यपरिषद की बैठक में जनप्रतिनिधियों को नहीं बुलाए जाने के संबंध में कुलपति प्रोफेसर रोहिणी प्रसाद का तर्क है कि चूंकि पूर्व सरकार भंग हो गई है और वर्तमान सरकार ने इस संबंध में कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया है।
इसकी वजह से कार्यपरिषद में उनकी सदस्यता भंग हो गई है लेकिन कार्यपरिषद में प्राचार्यों की सदस्यता पर वे दूसरा ही तर्क देते हैं कि वे प्राचार्य कोटे से सदस्य हैं। इसकी वजह से उनकी सदस्यता भंग नहीं होगी।
एक संस्थान में जनप्रतिनिधियों के लिए अलग नियम और अधिकारियों के लिए अलग नियम बनाकर कुलपति व कुलसचिव विश्वविद्यालय की पूरी व्यवस्था अपने नियंत्रण में रखना चाहते हैं।
निर्वाचित विधायक बने रहेंगे सदस्य
अधिनियम 23 में कार्य परिषद के गठन का निर्देश है। उपधारा २ में दर्ज कि है कार्य परिषद के वे सदस्य जो पदेन सदस्यों से भिन्न हों, ३ वर्ष की कालावधि के लिए पद धारण करेंगे। परन्तु उपधारा (1) के पद (तीन) अधीन निर्वाचित किया गया कार्य परिषद का कोई सदस्य, ऐसे सदस्य के रूप में पद पर नहीं रह जाएगा यदि वह सभा का सदस्य न रह जाये।
निर्वाचित विधायक बने रहेंगे सदस्य
अधिनियम 23 में कार्य परिषद के गठन का निर्देश है। उपधारा २ में दर्ज कि है कार्य परिषद के वे सदस्य जो पदेन सदस्यों से भिन्न हों, ३ वर्ष की कालावधि के लिए पद धारण करेंगे। परन्तु उपधारा (1) के पद (तीन) अधीन निर्वाचित किया गया कार्य परिषद का कोई सदस्य, ऐसे सदस्य के रूप में पद पर नहीं रह जाएगा यदि वह सभा का सदस्य न रह जाये।
उपधारा(1) के पद (तीन) में दर्ज किया गया है कि सभा द्वारा अपने सदस्यों में से, एकल संक्रमणीय मत द्वारा निर्वाचित किए गये तीन व्यक्ति। कार्यपरिषद के गठन के अधिनियम से ध्वनित होता है कि विधायक निर्वाचित हो कर सदन का सदस्य है तो वह कार्य परिषद का सदस्य रहेगा।
संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय के दो कार्य परिषद सदस्य टीएस सिंहदेव तथा अमरजीत भगत विधायक के रूप में पुन: निर्वाचित हैं तो उनकी कार्य परिषद की सदस्यता बरकरार रहेगी।
15 दिन पूर्व देनी है बैठक की सूचना
विनियम 1 में दर्ज है कि कार्य परिषद बैठक की सूचना 15 दिन पूर्व देनी है। प्रस्ताव व प्रस्ताव की प्रति भी देनी है। विश्वविद्यालय प्रशासन न तो 15 दिन पूर्व सूचना देता है और न ही प्रस्ताव व प्रस्ताव की प्रति उपलब्ध कराता है।
15 दिन पूर्व देनी है बैठक की सूचना
विनियम 1 में दर्ज है कि कार्य परिषद बैठक की सूचना 15 दिन पूर्व देनी है। प्रस्ताव व प्रस्ताव की प्रति भी देनी है। विश्वविद्यालय प्रशासन न तो 15 दिन पूर्व सूचना देता है और न ही प्रस्ताव व प्रस्ताव की प्रति उपलब्ध कराता है।
आपात बैठक के संबंध मेें एक दिन पूर्व सूचित करना है और बैठक बुलाने का आपात विषय भी होना चाहिए। विवि प्रशासन अब तक कार्य परिषद की बैठक की सूचना पूर्व की तिथि में देता आया है। बैठक की सूचना होती है लेकिन प्रस्ताव व प्रस्ताव की प्रति बैठक के दिन दी जाती है।
एमपी विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 को करता है अंगीकृत
गुरुघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर मध्यप्रदेश विवि अधिनियम 1973 के अधिनियम को अंगीकृत करता था। इसी अधिनियम को ही संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय ने भी अंगीकृत किया है। सरगुजा विश्वविद्यालय से संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय बनने तक की प्रक्रिया में विश्वविद्यालय का अपना कोई अधिनियम प्रकाशित नहीं है। विश्वविद्यालय ने मध्यप्रदेश के अधिनियम को ही संशोधित कर नया अधिनियम प्रकाशित नहीं किया है।
कुलपति करते हैं अपनी मनमानी
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि विश्वविद्यालय की पूरी व्यवस्था कुलपति अपने अनुसार संचालित करते हैं। इस संबंध में पूर्व में भी नोटिस किया गया है कि उनके द्वारा मनमानी की जाती है।
इसपर कैसे नियंत्रण किया जाए, इस संबंध में चर्चा की जाएगी। 1 जनवरी को बैठक है इसकी वजह से कुलपति से मेरा यही कहना है कि 2 जनवरी को बैठक बुला लें और इसकी जानकारी विश्वविद्यालय के संविधान के अनुसार निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को भी दें।
नहीं मिली है मुझे सूचना
कार्य परिषद बैठक की सूचना नहीं दी गई है। विधिक स्तर से मुझे बुलाना चाहिए। यदि नहीं बुलाते हैं तो मैं कुलपति से बात करता हूं।
अमरजीत भगत, विधायक, सीतापुर