अंबिकापुर

कोतवाली शस्त्रागार में जमा राइफल का 15 साल बाद भी नहीं चल रहा पता, गृह मंत्रालय तक हुई शिकायत

Rifle missing from Kotwali: वर्ष 2008 में विधानसभा चुनाव के दौरान शहर के एक व्यक्ति द्वारा जमा कराई गई थी राइफल, इस चुनाव भी लोगों से जमा कराए जा रहे लाइसेंसी शस्त्र

अंबिकापुरOct 11, 2023 / 04:48 pm

rampravesh vishwakarma

Ambikapur kotwali

अंबिकापुर. Rifle missing from Kotwali: विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जहां एक ओर लाइसेंसी शस्त्रों को जमा कराने जिला व पुलिस प्रशासन पूरी ताकत झोंक रहा है, वहीं वर्ष 20०8 में विधानसभा चुनाव दौरान कोतवाली थाना में जमा कराए गए पुश्तैनी राइफल के गायब होने की गुत्थी अभी तक अनसुलझी है। इसकी जानकारी पुलिस अधिकारियों से लेकर गृह मंत्रालय तक देनेे के बाद भी राइफल का पता नहीं चल पाया है।

थाने में जमा कराई गई दादा की अमानत को उनके पोते ने वर्ष 2016 में देखा था। इसके बाद थाना जाकर राइफल देखने की उन्होंने इच्छा जाहिर की, तो शस्त्रागार से गायब थी।

हर चुनाव के पहले इस परिवार से बंदूक थाना में जमा करने का आग्रह किया जाता है, लेकिन थाना के सुपुर्दगी में दी गई राइफल का हवाला देने पर सब चुप्पी साध लेते हैं। हालांकि कोतवाली का शस्त्रागार आज की स्थिति में नए पुलिस कर्मचारियों के हवाले है।

शहर के पुलिस लाइन रोड निवासी मनोज सिन्हा पिता स्व. शिवपूजन प्रसाद ने अब तक दिए गए एक दर्जन से अधिक आवेदनों में पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक, कोतवाली प्रभारी, गृह मंत्रालय को बताया है कि उन्होंने कोतवाली थाना में राइफल नंबर 275316 45-ए मॉडल 1917 को थाने में जमा किया था।
इसकी रसीद दी गई थी, जो साफ-सफाई के दरम्यान कहीं खो गई। काफी खोजबीन करने के बाद भी रसीद नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने अक्टूबर 2016 में थाना कोतवाली में जमा की गई राइफल की रसीद गुम होने की जानकारी तत्कालीन एसएचओ को दी थी और राइफल देखने का निवेदन भी किया था।
इस दौरान आरक्षक तिवारी ने राइफल दिखाई थी। उनके पिता का नाम शिवपूजन प्रसाद पिता स्व. शिवकुमार व राइफल का डिटेल बट में चस्पा किया गया था। कोतवाली अंबिकापुर के सभी शस्त्र पंजी में उक्त राइफल का डिटेल अंकित है, लेकिन राइफल कोतवाली के शस्त्रागार से गायब है।

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किसी एजेंसी से मामले की कराएं जांच
मनोज सिन्हा का कहना है कि थाना कोतवाली से राइफल का अचानक गायब होना अत्यंत ही गंभीर विषय है। अगर राइफल किसी असामाजिक या हिंसक तत्व के हाथ में पड़ जाती है और गंभीर घटना कारित होती है तो यह उनके लिए परेशानी का सबब बन सकता है। उक्त राइफल पुश्तैनी संपत्ति है।
थाना कोतवाली के शस्त्र पंजी में राइफल के संबंध में विस्तृत जानकारी दर्ज है। कोतवाली जैसेे संवेदनशील स्थान से राइफल का गायब होने की जांच किसी एजेंसी से कराने का आग्रह वे लंबे समय से करते आ रहे हैं।

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कई बार कराई गई पहचान, लेकिन गायब है राइफल
मनोज सिन्हा ने बताया है कि कोतवाली के शस्त्रागार में जमा की गई राइफल के गायब होने की जानकारी देने पर कई बार उन्हें शस्त्रागार में ले जाकर अन्य जमा किए गए शस्त्र दिखाए गए। राइफल की पहचान कराने की कोशिश की गई लेकिन उनकी पुश्तैनी राइफल नजर नहीं आया।
ऐसे में उन्होंने संभावना व्यक्त की है कि राइफल शस्त्रागार से गायब हो चुका है। कोतवाली के शस्त्रागार से जमा राइफल के गुम होने पर उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया है। उनका आरोप है कि थाना कोतवाली द्वारा उनकी शिकायत को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया गया।
पल्ला झाडऩे के लिए तत्कालीन थानेदार राइफल जमा करने की पावती प्रस्तुत करने लिखकर थमाते रहे। राइफल कहां गया? यह जानने का प्रयास नहीं किया गया।

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कराई जाएगी जांच
मामला काफी पुराना है। इसकी जांच कराई जाएगी। कहीं न कहीं थाने या पुलिस लाइन में राइफल जमा होगी।
सुनील शर्मा, एसपी, सरगुजा

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