अंबिकापुर

CG Health:ईयरफोन से बढ़ रही बहरेपन की समस्या, युवा बच्चे भी हो रहे शिकार

CG Health: बच्चे व युवा अधिकाशं समय मोबाइल को कनेक्ट कर कान में ईयरफोन लगाकर सुनते रहते हैं। मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. शैलेंद्र गुप्ता ने बताया कि ईयरफोन से बहरेपन की समस्या आने पर इलाज संभव नहीं है।

अंबिकापुरDec 06, 2024 / 03:38 pm

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CG Health

CG Health: एक उम्र के बाद बहरेपन की शिकायत आना स्वभाविक है, लेकिन अब बच्चे व युवाओँ में भी बहरेपन के लक्षण पाए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने इस गंभीर विषय पर चिंता जताई है। आंकड़ों के अनुसार अप्रैल महीने से अब तक 1624 लोगों ने बहरेपन की जांच कराई है। इसमें 1172 लोग पीड़ित मिले हैं। इसमें युवाओं व बच्चों की संख्या अधिक है।
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युवाओं में बहरेपन की शिकायत आने का मुख्य कारण कान में ईयरफोन का इस्तेमाल करना सामने आ रहा है। इसके अलावा अन्य कारण भी हैं, लेकिन बच्चे व युवा अधिकाशं समय मोबाइल को कनेक्ट कर कान में ईयरफोन लगाकर सुनते रहते हैं। मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. शैलेंद्र गुप्ता ने बताया कि ईयरफोन से बहरेपन की समस्या आने पर इलाज संभव नहीं है। ईयरफोन से कान की नसें सूख जाती हैं।

कान के नाजुक नसों को पहुंचता है नुकसान

नाक-कान गला विभाग के चिकित्सक डॉ. शैलेन्द्र गुप्ता ने बताया कि लोग ज्यादातर ईयर फोन, ईयरबड्स या हेडफोन का उपयोग कर रहे हैं। इससे कान की नसों पर दबाव बनता है। तेज ध्वनि के कारण नसों को नुकसान पहुंचता है। इससे व्यक्ति को स्थाई रूप से बहरापन हो जाता है।
नाक-कान गला विभाग के चिकित्सक डॉ शैलेन्द्र गुप्ता ने बताया कि 7 दिन के अंदर 10 ऐसे केस सामने आए हैं जो चेहरे में चोट लगने से कान के चदरे को नुकसान पहुंचा है। इसमें 6 मारपीट के केस में यह घटना सामने आई है। वहीं दो केस एक्सीडेंट में चोट लगने से बहरेपन के शिकार हुए हैं। वहीं दो बच्चे स्कूल से भी आए हैं। जिनके शिक्षक द्वारा कान के पास हाथ से मारने से कान के चदरे को नुकसान पहुंचा है। डॉ. शैलेंद्र गुप्ता ने शिक्षकों व अभिभावकों से अपील की है कि वे बच्चों को कान के नीचे न मारें, ताकि उनके कान को नुकसान न पहुंचे।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार सरगुजा जिले में अप्रैल से अब तक कुल 1624 लोगों ने बधिरता की जांच कराई है। इसमें 1172 लोग पीड़ित पाए गए हैं। वहीं 37 बच्चे भी शामिल हैं। इनकी उम्र 0-6 साल की है, जिसे जन्मजात बधिरता की श्रेणी में रखा गया है। इसके अलावा घरेलू हिंसा में महिलाएं भी पीड़ित होतीं हैं।

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