scriptडरातेे आंकड़े: सरगुजा में इस साल सिर्फ 7 महीने में टीबी से 59 लोगों की मौत, मिल चुके हैं 1000 मरीज | TB: 59 TB patient death in Surguja only in 7 month | Patrika News
अंबिकापुर

डरातेे आंकड़े: सरगुजा में इस साल सिर्फ 7 महीने में टीबी से 59 लोगों की मौत, मिल चुके हैं 1000 मरीज

TB: वर्ष 2022 में टीबी के मिले थे 1600 मरीज, डॉक्टरों का कहना समय रहते पहचान कर कराएं इलाज, शरीर को कमजोर कर देता है क्षय रोग

अंबिकापुरAug 11, 2023 / 09:13 pm

rampravesh vishwakarma

Tuberculosis

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अंबिकापुर. TB: सरगुजा जिले में हर साल टीबी से दर्जनों लोगों की मौत हो जाती है। इस साल सिर्फ 7 महीने में ही टीबी के 1000 मरीज मिल चुके हैं, इनमें से 59 की मौत हो चुकी है। टीबी बीमारी के मरीजों की संख्या को देखते हुए जिला क्षय उन्मूलन केन्द्र सरगुजा द्वारा लगातार घर-घर खोजी अभियान संचालित किया जा रहा है।

जिला क्षय अधिकारी डॉक्टर शैलेंद्र गुप्ता ने बताया कि पिछले साल टीबी पीडि़त 1600 से ज्यादा मरीज को चिन्हांकित कर इलाज प्रारंभ किया गया था। जबकि वर्ष 2023 में 1000 मरीज क्षय रोग के मिल चुके हैं, इसमें 59 मरीज की मृत्यु क्षय रोग से हो चुकी है।
क्षय रोग की बीमारी अदृश्य कण मायको बैक्टीरिया ट्युवर कुलोसिस जीवाणु से होती है। ये क्षय रोग के मरीज के खांसने से वातावरण में फैल जाते हैं और इसमें सांस लेने से क्षय बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है।
वर्तमान स्थिति में 1 लाख की जनसंख्या में 196 मरीज में क्षय रोग कीटाणु रहने की संभावना रहती है जिसमें 3-6 प्रतिशत मरीज की मृत्यु होती है।

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क्षय रोग का उन्मूलन क्यों आवश्यक
क्षय रोग बीमारी शरीर को दुर्बल कर देती है। फेफड़ों को गला देती है, कमर की हड्डी को कमजोर कर मवाद बना देती है जिससे पैर में लकवा की शिकायत हो जाती है। पेट में लगातार दर्द का बना रहना, गले में गठान का पाया जाना, आंख में लालिमा का बना रहना व झटके या मिर्गी की परेशानी क्षय रोग के संक्रमण से हो सकती है।
क्षय रोग की बीमारी से व्यक्ति कमजोर होता है व जानलेवा साबित होती है। क्षय रोग के उपचार के लिए कई दवाइयां प्रतिदिन दी जाती है, ये सभी दवाइयां मुख से खाने वाली होतीं हैं। किस मरीज को क्या दवाई दी जायेगी, ये मरीज के बलगम जांच से निर्धारित होती है।

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6 से 21 महीने तक चलता है इलाज
उपचार 6 महीने से लेकर 21 महीने तक हो सकता है। उपचार के दौरान मरीज को प्रोटीन युक्त पोषण आहार का सेवन करने की सलाह दी जी है। क्षय रोग होने की सबसे ज्यादा संभावना अर्थात उच्च जोखिम मरीज के अन्तर्गत एचआईवी संक्रमित मरीज, आर्गेन ट्रान्सप्लान्ट व कैंसर के मरीज, शुगर बीमारी से पीडि़त, तम्बाकू व धुम्रपान करने वाले मरीज में रहती है।

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क्षय रोग के लक्षण
खांसी में बलगम का आना, शरीर दुर्बल होना, बच्चों में शारीरिक विकास का ना होना, गले व पेट में गठान का पाया जाना, नपुसंकता या इलाज के बाद भी लम्बे समय तक बीमार रहना होता है। क्षय रोग की पुष्ठि के लिये एकमात्र जांच बलगम या खखार जांच होती है।
इस जांच में क्षय रोग के कीटाणु के सूक्ष्म कण को भी ट्रू नॉट व सीबीनॉट माध्यम से जांचा जाता है। शासकीय संस्थानो में ये जांच पुर्णत: निशुल्क है, विशेष स्थिति में क्षय रोग की पहचान एक्स रे, सोनाग्राफी, सिटी स्कैन व लक्षण के आधार पर की जाती है।

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