जिला क्षय अधिकारी डॉक्टर शैलेंद्र गुप्ता ने बताया कि पिछले साल टीबी पीडि़त 1600 से ज्यादा मरीज को चिन्हांकित कर इलाज प्रारंभ किया गया था। जबकि वर्ष 2023 में 1000 मरीज क्षय रोग के मिल चुके हैं, इसमें 59 मरीज की मृत्यु क्षय रोग से हो चुकी है।
क्षय रोग बीमारी शरीर को दुर्बल कर देती है। फेफड़ों को गला देती है, कमर की हड्डी को कमजोर कर मवाद बना देती है जिससे पैर में लकवा की शिकायत हो जाती है। पेट में लगातार दर्द का बना रहना, गले में गठान का पाया जाना, आंख में लालिमा का बना रहना व झटके या मिर्गी की परेशानी क्षय रोग के संक्रमण से हो सकती है।
6 से 21 महीने तक चलता है इलाज
उपचार 6 महीने से लेकर 21 महीने तक हो सकता है। उपचार के दौरान मरीज को प्रोटीन युक्त पोषण आहार का सेवन करने की सलाह दी जी है। क्षय रोग होने की सबसे ज्यादा संभावना अर्थात उच्च जोखिम मरीज के अन्तर्गत एचआईवी संक्रमित मरीज, आर्गेन ट्रान्सप्लान्ट व कैंसर के मरीज, शुगर बीमारी से पीडि़त, तम्बाकू व धुम्रपान करने वाले मरीज में रहती है।
क्षय रोग के लक्षण
खांसी में बलगम का आना, शरीर दुर्बल होना, बच्चों में शारीरिक विकास का ना होना, गले व पेट में गठान का पाया जाना, नपुसंकता या इलाज के बाद भी लम्बे समय तक बीमार रहना होता है। क्षय रोग की पुष्ठि के लिये एकमात्र जांच बलगम या खखार जांच होती है।