व्हाट्सएप मैसेज में आरक्षक ने लिखा था- सर मैं बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में पदस्थ आरक्षक क्रमांक 132 सुयश पैकरा हूं, मैं यहां डिप्रेशन में हूं। मेरे पिता एएसआई थे, जिनका निधन हो चुका है। मां का ऑपरेशन हुआ है और दो छोटे भाई हैं जिनका भविष्य भी निश्चित नहीं है। मैंने कई बार स्थानांतरण के लिए आवेदन दिया, पर कुछ नहीं हुआ।
मेरे पास शुक्रिया के लिए भी शब्द नहीं है
आरक्षक ने कहा कि मुझे बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि ऐसी त्वरित राहत मिलेगी, मैं कभी आईजी (Surguja IG) साहब से मिला ही नहीं हूं और मैं बेहद ज्यादा अवसाद में था। कई आवेदनों पर कोई सुनवाई नहीं हुई तो आखिरी उम्मीद के रूप में मैसेज कर दिया था। मेरे पास शुक्रिया के लिए भी शब्द नहीं है। बहुत-बहुत आभार, मां की बेहतर देखभाल कर पाऊंगा।