अंबिकापुर

सांपों को बचाने के चक्कर में 29 बार मौत के मुंह से लौटा ‘स्नेकमैन’, फिर भी नहीं छोड़ा अपना जूनून, किया 6 हज़ार सांपों…

Ambikapur news: पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाए रखने में अंबिकापुर निवासी स्नैकमैन के नाम से मशहूर सत्यम द्विवेदी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वे अपनी जान की परवाह किए बिना अब तक 6 हजार से अधिक सांपों का रेस्क्यू कर चुके हैं।

अंबिकापुरMay 29, 2023 / 01:16 pm

Khyati Parihar

file photo

‘Snakeman’ news: अंबिकापुर। सांपों का नाम सुनते ही शरीर में कंपन महसूस होने लगती है, डर से रोंगटे खड़े हो जाते हैं। अमूमन यह देखा जाता है कि सांप को देखते ही लोग उसे मार देेते हैं। ऐसा करना पारिस्थितिकी तंत्र के लिहाज से भी अच्छा नहीं है, क्योंकि सांप का पर्यावरण में रहना उतना ही जरूरी है जितना कि मनुष्य व अन्य जीव-जंतुओं का। सांप सहित अन्य खतरनाक जीव-जंतू एक खाद्य श्रृंखला बनाते हैं, जो पारिस्थितिकी तंत्र के लिए काफी अहम हैं।
पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाए रखने में अंबिकापुर निवासी स्नैकमैन के नाम से मशहूर सत्यम द्विवेदी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वे अपनी जान की परवाह किए बिना अब तक 6 हजार से अधिक सांपों का रेस्क्यू कर चुके हैं। इस दौरान वे 29 बार खुद को मौत के मुंह में झोंक चुके हैं। लेकिन सांपों को बचाने का जुनून ऐसा है कि वे इसकी भी परवाह नहीं करते। सांपों को पकड़कर वे जंगल में छोड़ देते हैं ताकि उनका भी अस्तित्व बचा रहे।
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29 बार सांपों ने डसा

सत्यम बताते हैं कि उन्होंने सफेद करैत, कोबरा सहित अन्य कई जहरीले सांपों का रेस्क्यू किया है। रेस्क्यू के दौरान उन्हें 29 बार अलग-अलग सांपों ने डस लिया है। एक-दो बार जहरीले सांपों ने भी उन्हें डसा लेकिन सूझबूझ और तत्काल अस्पताल पहुंचकर उन्होंने एंटी स्नैक वेनम का इंजेक्शन लगवा लिया। इस वजह से अब तक उनकी जान सलामत है। उनका मानना है कि पारिस्थितिकी तंत्र बचाने के लिए सांपों को बचाना जरूरी है। वे सांपों के साथ अन्य बेजुबान जानवरों को बचाने के लिए प्रयासरत हैं।
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अब तक 1500 पक्षियों को भी बचाया

सत्यम द्विवेदी बीते 5 वर्षों से सरगुजा की जैव विविधता के संरक्षण हेतु प्रयासरत हैं। बीते 6 वर्ष में उन्होंने 6000 से अधिक सर्प का रेस्क्यू व 1500 से अधिक पक्षियों की जान बचाई है। वहीं प्रति वर्ष 50 से अधिक पौधे भी लगाते हैं। वे घायल सांपों, पंछियों के संरक्षण हेतु संभाग का एक मात्र मां महामाया पशु पुनर्वास केंद्र भी संचालित कर रहे हैं। यहां उन्होंने 100 से अधिक घायल, बीमार व दृष्टिहीन जीवों को आश्रय प्रदान किया है।
कॅरियर का भी मोह नहीं

बता दें कि स्नैकमैन सत्यम ने कंप्यूटर साइंस से बीएससी की है। एलएलबी करने के बाद पीएससी की तैयारी के दौरान उनके जेहन में बेजुबान जानवरों की सेवा करने जिज्ञासा उत्पन्न हुई। उन्होंने अपने कॅरियर की परवाह किए बिना वर्ष 2016 से सांपों को रेस्क्यू करने काम शुरु किया। पिछले 6 साल से वे सांपों का रेस्क्यू करते आ रहे हैं। सत्यम द्विवेदी का कहना है कि सांप पर्यावरण के लिए बहुत ही जरूरी हैं, इसलिए उन्हें बचाकर जंगलों में छोड़ देता हूं। उन्होंने बताया कि अब तक वे 6000 से ज्यादा सांपों का रेस्क्यू कर चुके हैं।
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सत्यम द्विवेदी वन्य जीवों को लेकर बेहतर काम कर रहे हैं। वह कई जहरीले सांपों का रेस्क्यू कर चुके हैं। जरूरत पड़ने पर रेस्क्यू के लिए वन विभाग द्वारा स्टाफ उपलब्ध कराया जाता है। वहीं रेस्क्यू के बाद जीवों को रखने की व्यवस्था वन विभाग द्वारा की जाती है। वन्य जीवों का रेस्क्यू करना काफी खतरों से भरा है।
-पंकज कमल, डीएफओ, सरगुजा

एक्सपर्ट व्यू

प्राणीशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. राजकिशोर सिंह बघेल का कहना है कि सांप हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण प्राणी है। मानव सहित पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जीवों को अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए जैव विविधता के उच्च स्तर को बनाए रखना अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। सांप भी उस जैव विविधता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
पारिस्थितिकी तंत्र में यदि सांपों की संख्या में कमी होगी तो जहां एक और चूहों व अन्य शिकारी प्रजातियों की संख्या में अप्राकृतिक स्तर से वृद्धि होगी, वहीं दूसरी ओर सांपों को खाने वाले परभक्षी प्राणी भोजन करने के लिए संघर्ष करेंगे और उनका अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।
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