भगवान विष्णु के 8वें अवतार के रूप में कंस की कालकोठरी में आधी रात श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस कारण रात 12 बजे ही श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाते हैं।
बन रहा विशेष संयोग-
शास्त्रों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस साल जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि विद्यमान रहेगी।
बन रहा विशेष संयोग-
शास्त्रों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस साल जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि विद्यमान रहेगी।
इसके अलावा वृषभ राशि में चंद्रमा संचार करेगा। इस दुर्लभ संयोग के कारण जन्माष्टमी (Gokulashtami) का महत्व और बढ़ रहा है। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान सच्चे मन से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त-
29 अगस्त की रात 11 बजकर 25 मिनट से अष्टमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी, जो कि 31 अगस्त की रात 1 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी। रोहिणी नक्षत्र 30 अगस्त को सुबह 6 बजकर 39 मिनट से लगेगा, जो कि 31 अगस्त की सुबह 9 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगा।
पूजा का अभिजीत मुहूर्त-
जन्माष्टमी (Gokulashtami) के दिन अभिजीत मुहूर्त 30 अगस्त की सुबह 11 बजकर 56 मिनट से देर रात 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा।
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पूजन विधि-
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद घर के मंदिर में साफ-सफाई कर दीप प्रज्वलित करें। तत्पश्चात सभी देवी-देवताओं का जलाभिषेक करें। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है। लड्डू गोपाल का जलाभिषेक कर झूले में बैठाएं और झूला झूलाएं। अपनी इच्छानुसार लड्डू गोपाल को भोग लगाएं।
इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। लड्डू गोपाल की सेवा पुत्र की तरह करें। इस दिन रात्रि पूजा का महत्व होता है, क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म (Krishna Jayanti) रात में हुआ था। रात्रि में भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना कर मिश्री, मेवा का भोग भी लगाएं तथा उनकी आरती करें। इस दिन लड्डू गोपाल की अधिक से अधिक सेवा करें।