एसपी विजय अग्रवाल के निर्देश पर यातायात पुलिस द्वारा 31 मार्च को सकालो नर्मदापुर स्थित अम्बिका ऑटो फिटनेस सेंटर में शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में कुल 18 निजी स्कूलों के 58 बसों का भौतिक परीक्षण किया गया। इसमें सभी फिट पाए गए।
इसके अलावा 61 बस चालकों एवं हेल्परों का भी नेत्र एवं स्वास्थ्य परीक्षण किया गया है। इसमें 10-12 लोगों मेें नेत्र दोष पाया गया। इन्हें चिकित्सकों ने चश्मा लगाने की समझाइश दी है। इसके अलावा इन्हें समय-समय पर नेत्र एवं स्वास्थ्य परीक्षण कराने हेतु हिदायत दी गई। साथ ही खास तौर पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी गाइडलाइन का कड़ाई से पालन करने हेतु हिदायत दी गई है।
स्कूल संचालकों द्वारा की गई खानापूर्ति
जानकारी के अनुसार जिले में कई निजी स्कूल संचालित हैं। लेकिन केवल 18 स्कूल के प्रबंधकों द्वारा मात्र ५८ बसों को फिटनेस चेकिंग के लिए लाया गया था। जबकि स्कूलों में कई बसें संचालित होती हैं।
स्कूल प्रबंधन पुरानी बसों को फिटनेस जांच के लिए नहीं लाए थे। केवल नई बसों की फिटनेस जांच कराकर खानापूर्ति कर दी गई। जबकि सडक़ों पर कई कंडम बसें चलती दिखाई देती हैं।
सीट से ज्यादा बैठाए जाते हैं बच्चे
स्कूल बसों के संचालन को लेकर कई आवश्यक दिशा निर्देश सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए हैं। लेकिन स्कूल प्रबंधकों द्वारा कोर्ट के निर्देशों को दरकिनार कर धड़ल्ले से बसों में क्षमता से अधिक बच्चों को लाने-ले जाने का काम किया जाता है। अधिकतर स्कूल बसों में सीट से ज्यादा बच्चों को बैठाया जाता है।
सीट से ज्यादा बैठाए जाते हैं बच्चे
स्कूल बसों के संचालन को लेकर कई आवश्यक दिशा निर्देश सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए हैं। लेकिन स्कूल प्रबंधकों द्वारा कोर्ट के निर्देशों को दरकिनार कर धड़ल्ले से बसों में क्षमता से अधिक बच्चों को लाने-ले जाने का काम किया जाता है। अधिकतर स्कूल बसों में सीट से ज्यादा बच्चों को बैठाया जाता है।
यह भी पढ़ें युवती से गैंगरेप: घर में अकेली देख ले गए मुंह दबाकर, नाबालिग समेत 3 युवक गिरफ्तार
सुप्रीम कोर्ट कोर्ट के ये हंै निर्देश
बसों के आगे-पीछे स्कूल बस लिखा होना चाहिए।
स्कूली बसों में प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स की व्यवस्था करें।
प्रत्येक बसों में आग बुझाने के उपकरण होने चाहिए।
अगर किसी एजेंसी से बस अनुबंध पर ली गई है, तो उस पर ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना चाहिए।
बसों में सीट क्षमता से अधिक बच्चे नहीं होने चाहिए।
प्र्रत्येक स्कूल बस में हॉरिजेंटल ग्रिल लगे हों।
स्कूल बस पीले रंग का हो, जिसके बीच में नीले रंग की पट्टी पर स्कूल का नाम और फोन नम्बर लिखा होना चाहिए।
बसों के दरवाजे को अंदर से बंद करने की व्यवस्था होनी चाहिए।
बस में सीटें के नीचे बैग रखने की व्यवस्था होनी चाहिए।
बसों में टीचर जरूर होने चाहिए, जो बच्चों पर नजर रखें।
प्रत्येक बस चालक को कम से कम 5 साल का भारी वाहन चलाने का अनुभव होनी चाहिए।