अंबिकापुर

Sand mining: मैनुअल की है अनुमति लेकिन जेसीबी व पोकलेन से किया जा रहा है रेत का खनन, खोखली होती जा रही हैं नदियां

Sand mining: अविभाजित सरगुजा संभाग में नियमों को ताक पर रखकर किया जा रहा रेत का अवैध उत्खनन, जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों ने साध रखा है मौन

अंबिकापुरNov 24, 2024 / 06:38 pm

rampravesh vishwakarma

Sand mining from river

अंबिकापुर. अविभाजित सरगुजा में रेत का अवैध उत्खनन (Sand mining) धड़ल्ले से चल रहा है। हालांकि यहां रेत खनन कराने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों की है। इसके बावजूद रेत का अवैध करोबार नहीं रुक रहा है। रेत खनन के लिए पर्यावरण विभाग से जो लाइसेंस जारी किया जा रहा है, वह मैनुअल है। इसके बावजूद सारे नियम व कानून को ताक पर रखकर जेसीबी व पोकलेन मशीन के माध्म से दिन रात रेत का खनन किया जा रहा है। मशीन लगाकर रेत खनन कराए जाने से नदियां खोखली होती जा रही हैं।
सरगुजा में लखनपुर ब्लॉक के मोहनपुर व सीतापुर ब्लॉक के राधापुर में रेत घाट संचालित है। ये दोनों घाट ग्राम पंचायत के माध्यम से संचालित हो रही हैं। लेकिन खनिज व पर्यावरण विभाग के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। सरगुजा, सूरजपुर व बलरामपुर जिले में नियम को ताक पर रखकर रेत का खनन (Sand mining) किया जा रहा है।
ग्राम पंचायत द्वारा रेत खनन के लिए पर्यावरण विभाग से मैनुअल का लाइसेंस लिया गया है। लेकिन यहां सारे नियमों को ताक पर रखकर जेसीबी व पोकलेन मशीन के माध्यम से रेत का खनन (Sand mining) किया जा रहा है। अवैध रेत उत्खनन से नदियां खोखली जाती जा रही हंै। जबकि विभाग केवल दिखावे के लिए परिवहन कार्य में लगे वाहनों पर कार्रवाई कर अपनी पीठ थपथपाता है।
Sand mining
Sand mining

रेत के रेट में भी गड़बड़झाला

खनिज विभाग के अनुसार 1 घन मीटर रेत खनन के लिए शासन को 196 रुपए देने पड़ते हैं। इसमें पर्यावरण उपकर, अधोसंरचना उपकर व लोडिंग शामिल है। वहीं एक ट्रैक्टर में 3 घन मीटर रेत आता है, जिसका शासकीय शुल्क 588 रुपए पड़ता है। इसके बावजूद रेत कारोबारी लोगों से रेत का रेट 3 हजार से 5 हजार रुपए वसूल रहे हैं। जबकि ऑफ सीजन में रेत का रेट और बढ़ जाता है।
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Sand mining: ट्रैक्टर व हाइवा से परिवहन

संभाग के सरगुजा, बलरामपुर व सूरजपुर जिले के विभिन्न नदियों से रेत का खनन (Sand mining) कर परिवहन किया जा रहा है। खनन के लिए जेसीबी व पोकलेन का इस्तेमाल किया जाता है। जबकि परिवहन के लिए हाइवा व ट्रैक्टर का इस्तेमाल किया जाता है।
Sand mining

मानक के अनुसार अधिक की खुदाई

रेत खनन (Sand mining) के लिए पर्यावरण व खनिज विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है। खनन की अनुमति अगर 50 घन मीटर की होती है लेकिन उससे अधिक की खुदाई कर नदियों को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ राजस्व का भी नुकसान पहुंचाते हैं। जबकि कार्रवाई करने के बजाए विभाग मुकदर्शक बना रहता है।
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बिना अनुमति के डंप कर कालाबाजारी

अवैध रेत खनन (Sand mining) व परिवहन कर कारोबारी भारी मात्रा में डंप कर लेते हैं। डंपिंग के लिए ये अनुमति तक नहीं लेते हैं और रेत की कालाबाजारी करते हैं। जिले में प्रति दिन लगभग 4 से 5 हजार टन रेत का खनन किया जा रहा है। इससे शासन को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है।
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शिकायत पर की जाती है कार्रवाई

सहायक खनिज अधिकारी विवेक साहू का कहना है कि जिले में ग्राम पंचायत के माध्यम से रेत खनन किया जा रहा है। जिले में 2 घाट संचालित हैं। पोकलेन व जेसीबी से रेत खनन किए जाने की शिकायत पर समय-समय पर कार्रवाई की जाती है।

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