Ram Van Gaman path: संजय तिवारी. छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर जिले में भगवान राम ने चौदह साल के वनवास काल का करीब दो साल समय सरगुजा के वनों और वनवासियों के बीच बिताया था। प्रदेश में प्रभु राम के पद् चिह्नों और पड़ावों की पौराणिक कथाओं को जीवंत करने के उद्देश्य से 10 स्थानों का चयन किया गया है। इसमें सरगुजा का रामगढ़ भी शामिल है। यहां भगवान के वन गमन के पड़ाव की निशानियां मौजूद हैं। अब इस स्थल को तेजी से विकसित करने का काम सरकार कर रही है।
Ram Van Gaman path: 13 करोड़ के विकास कार्यों से बदल गई तस्वीर
सरगुजा जिले के उदयपुर क्षेत्र में स्थित ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व का स्थल रामगढ़ अब राम वन गमन पर्यटन परिपथ का हिस्सा बनकर पर्यटकों और श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बन गया है। लगभग 13 करोड़ की लागत से इस स्थल का व्यापक विकास किया गया है।
ये निर्माण कार्य पूरे
पर्यटन से जुड़ी कई सुविधाएं यहां विकसित की गईं हैं। इनमें 25 फीट ऊंची भगवान श्रीराम की भव्य प्रतिमा, पर्यटक सूचना केंद्र, दीप स्तंभ, 6 कॉटेज, 2 डॉरमेट्री, पब्लिक टॉयलेट, बाउंड्री वॉल हाइमास्ट लाइट और सड़क निर्माण शामिल है। सीता बेंगरा से सीढ़ी तक 3.55 किलोमीटर सीसी सड़क का निर्माण कराया गया है।
पेयजल की समस्या बड़ी कमी
रामगढ़ में लगभग 4 किलोमीटर के एरिया में पेयजल का कोई साधन नही है। इसकी वजह से श्रद्धालुओं और पर्यटकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। लोगों का कहना है इस समस्या का निराकरण काफी जरूरी है। वहीं सीता बेंगरा से ऊपर तक स्ट्रीट लाइट भी नही है। रामगढ़ में बिखरी पड़ी पुरातात्विक महत्व की प्राचीन मूर्तियों के संरक्षण पर भी पुरातत्व विभाग का ध्यान नहीं है।
सौंदर्यीकरण और सुविधाओं से बढ़े पर्यटक
गार्डनिंग, स्मॉल इंट्रेंस गेट, पेवर ब्लॉक, विद्युत कनेक्शन और अन्य सजावटी कार्यों ने यहां की खूबसूरती को और बढ़ा दिया है। यह स्थल पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए सालभर खुला रहता है और नियमित रूप से आगंतुकों का तांता लगा रहता है। वही रामगढ़ की सुरक्षा और व्यवस्था का दायित्व वन प्रबंधन समिति पुटा को सौंपा गया है, जो यहां पर्यटकों की सुविधाओं और स्थल की देखभाल सुनिश्चित कर रही है।
ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यताएं
मान्यता है कि वनवास के दौरान भगवान राम ने रामगढ़ पर्वत पर विश्राम किया था। इस पर्वत पर अलग-अलग गुफाएं हैं। माना जाता है कि श्री राम-लक्ष्मण और माता सीता इन गुफाओं में निवास करते थे। रामगढ़ को रामगिरि भी कहा जाता है। यहां स्थित गुफाओं को सीताबेंगरा, लक्ष्मण बेंगरा कहा जाता है। वहीं रामगढ़ पर्वत पर भरत मुनि की नाट्यशाला है। नाट्यशाला में गूंजती आवाज किसी साउंड सिस्टम का अहसास कराती है। माना जाता है कि भरत मुनि ने इसी नाट्यशाला से प्रभावित होकर नाट्य शास्त्र की रचना की थी। महाकवि कालीदास ने भी इसी पर्वत पर बैठकर महाकाव्य मेघदूतम् की रचना की थी।
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