सेंट्रल स्कूल के सामने अजिरमा निवासी निलेश सिंह ने थाने में दी गई शिकायत में बताया है कि टीएस सिंहदेव द्वारा भाषण में कहा गया कि “राम जन्म भूमि (Ram Mandir) एवं बाबरी मस्जिद के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जो फैसला सुनाया गया, उसमें किसी जज के हस्ताक्षर नहीं हैं। उन्होंने बताया कि यह बात सोशल मीडिया में डाले गए पोस्ट में उक्त भाषण देखा है।
इसमें जजों द्वारा भारत के सभी कानूनों एवं संविधान के खिलाफ नियम विरुद्ध फैसला देने की बात सिंहदेव द्वारा कही गई है। निलेश सिंह का कहना है कि सिंहदेव का यह भाषण सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के प्रति अविश्वास उत्पन्न करने वाला है। यह विभिन्न समुदायों मे परस्पर हिंसा हो बढ़ावा देने वाला है।
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प्रकरण को गलत ढंग से परिभाषित करने का प्रयास
निलेश सिंह ने बताया है कि वे हिन्दू धर्म एवं मान्यताओं को मानने वाले हैं। सिंहदेव ने राम जन्म भूमि (Ram Mandir) एवं बाबरी मस्जिद के प्रकरण को गलत ढंग परिभाषित करते हुए यह बताने का प्रयास किया गया कि आज अयोध्या में जहां राम मंदिर बना है, उसे कानून के प्रावधानों के विपरीत मात्र लोगों को संतुष्ट करने के उददेश्य से जजों द्वारा फैसला दिया गया है। उन्होंने बताया है कि भाषण (Ram Mandir) का वीडियो देखकर उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। उन्होंने टीएस सिंहदेव के खिलाफ बीएनएस की धारा 196 (1) एवं 299 के तहत अपराध दर्ज करने की मांग की है।
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तथ्यों को तोड़-मरोड़ रहे भाजपाई
इस संबंध में कांग्रेस के सरगुजा जिलाध्यक्ष राकेश गुप्ता का कहना है कि पार्टी की आंतरिक बैठक में पूर्व उपमुख्यमंत्री के द्वारा दिया गया बयान ध्यान से सुनना चाहिए। इसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के फैसले को देश मे सौहार्द्र स्थापित करने वाला बताया है। फैसले की सच्चाई सामने न आ जाए, इस डर से भयभीत संघी व भाजपाई तथ्यों को तोड़-मरोडक़र साम्प्रदायिकता फैलाने के अपने दैनिक कार्य मे लगे हैं। संघी और भाजपाई पहले इस बात का जवाब दें कि रामलला (Ram Mandir) विराजमान की वो प्रतिमाएं कहां हैं, जो टेंट में थीं और जिनके लिए राममंदिर स्थापना का आंदोलन हुआ। उन्हें अब तक निर्माणाधीन राममंदिर में क्यों नहीं स्थापित किया गया है।