गौरतलब है कि जर्जर हो चुके अंबिकापुर-बनारस स्टेट हाइवे पर पीब्ल्यूडी विभाग (PWD) द्वारा डामरीकरण कराया जा रहा है। डामरीकरण 10 किमी तक कराया जाना है, लेकिन विभाग द्वारा डामरीकरण के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। गुणवत्ता पर ध्यान न दिए जाने के कारण सडक़ बनने के साथ ही गिट्टियां उखडऩे लगी हैं।
शहर के दो-दो मंत्री व दर्जा प्राप्त केबिनेट मंत्री यहां मौजूद है, वहीं कलक्टर भी सडक़ का निरीक्षण कर चुके हैं, लेकिन सडक़ की गुणवत्ता को लेकर किसी को कोई लेना-देना नहीं है। प्रति दिन बनारस मार्ग से गुजरने के बावजूद मंत्री-विधायक अपनी आंखें बंद किए हुए हैं।
वहीं जिले के आला अधिकारी भी बनारस मार्ग पर हो रहे घटिया निर्माण को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं। जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों की अनदेखी के कारण सडक़ भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है। वहीं विभाग का दावा है कि हमने ७ साल टिकने वाली सडक़ बनाई है, लेकिन सडक़ को देख कर ऐसा कहीं नहीं लगता।
महीने भर के भीतर ही बनारस मार्ग पर कई जगह सडक़ उखड़ चुकी है। नई डामरीकरण की जगह पुरानी सडक़ दिखने लगी है। ऐसे में इसकी क्वालिटी का अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं।
बनने के साथ ही उखडऩे लगी सडक़
पीडब्ल्यूडी द्वारा अंबिकापुर-बनारस स्टेट हाइवे पर शहर से 10 किमीमीटर दूरी तक डामरीकरण कराया जा रहा है। डामरीकरण का काम पिछले महीने ही शुरु हुआ था। अभी डामरीकरण का काम पूरा भी नहीं हुआ है और सडक़ उखडऩी शुरु हो गई है।
पीडब्ल्यूडी द्वारा अंबिकापुर-बनारस स्टेट हाइवे पर शहर से 10 किमीमीटर दूरी तक डामरीकरण कराया जा रहा है। डामरीकरण का काम पिछले महीने ही शुरु हुआ था। अभी डामरीकरण का काम पूरा भी नहीं हुआ है और सडक़ उखडऩी शुरु हो गई है।
बनारस मार्ग पर स्थित टीसीपीसी के सामने, पेट्रोल पंप, जायका रेस्टोरेंट के सामने सहित अन्य जगहों पर सडक़ पूरी तरह खस्ताहाल हो चुकी है। जगह-जगह दरारें पडऩी शुरू हो गई। डमरीकरण की गिट्टियां भी उखडऩी शुरु हो गई है, ऐसे में दुर्घटना की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
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विभाग के इई ने बताया था सब ओके
बनारस मार्ग पर डामरीकरण शुरु होते ही गुणवत्ता पर सवाल उठने शुरु हो गए थे। घटिया सडक़ की निर्माण को लेकर पत्रिका अखबार ने प्रमुखता से खबर का प्रकाशन किया था।
खबर प्रकाशन के बाद पीडब्ल्यूडी के ईई ने बनारस मार्ग पर हुए डामरीकरण का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान उन्होंने सबकुछ ओके बताते हुए सडक़ के 7 साल तक टिकने का दावा किया था। सडक़ की हालत देखकर उनका दावा हवा-हवाई साबित हो रहा है।
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डामर ठंडा होने का रोना रो रहे ईई
पीडब्ल्यूडी के ईई ने बनारस मार्ग का निरीक्षण के बाद मंत्रियों व कलक्टर को खुश करने 7 साल सडक़ टिकने की बात तो कह दी। लेकिन जब सडक़ की हालत पर पत्रिका ने उनसे सवाल किया तो वे टेक्निकल इशु व डामर ठंडा होने का रोना रोने लगे।
सीधी बात
वीके वेदिया, ईई, पीडब्ल्यूडी
सवाल- बनारस मार्ग पर डामरीकरण होते ही उखडऩी शुरू हो गई।
जवाब- हां, दूसरा लेयर चढ़ाया जाना है। कुछ जगहों पर उखड़ रही है, उसपर पुन: कार्य कराया जाएगा। सवाल – निरीक्षण के दौरान आपने 7 साल तक सडक़ टिकने का दावा किया था।
जवाब- कुछ जगहों पर माल ठंडा हो जाने के कारण सडक़ खराब हो गए हैं।
वीके वेदिया, ईई, पीडब्ल्यूडी
सवाल- बनारस मार्ग पर डामरीकरण होते ही उखडऩी शुरू हो गई।
जवाब- हां, दूसरा लेयर चढ़ाया जाना है। कुछ जगहों पर उखड़ रही है, उसपर पुन: कार्य कराया जाएगा। सवाल – निरीक्षण के दौरान आपने 7 साल तक सडक़ टिकने का दावा किया था।
जवाब- कुछ जगहों पर माल ठंडा हो जाने के कारण सडक़ खराब हो गए हैं।
सवाल- मौके पर क्या इंजीनियर नहीं रहते।
जवाब- रहते हैं पर रात में कोई नहीं थे, प्लांट दूर है और रास्ते में गाड़ी खराब हो जाने के कारण डामर ठंडा हो गया था। उसे दोबारा कराया जाएगा।
जवाब- रहते हैं पर रात में कोई नहीं थे, प्लांट दूर है और रास्ते में गाड़ी खराब हो जाने के कारण डामर ठंडा हो गया था। उसे दोबारा कराया जाएगा।