अंबिकापुर

जच्चा-बच्चा की मौत के मामले में कार्रवाई से असंतुष्ट पिता की एसपी से फरियाद

नर्सिंग होम में जच्चा-बच्चा मौत के मामले में अब तक पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज नही किए जाने से असंतुष्ट मृतका के पिता ने एसपी से न्याय की गुहार लगाई है।

अंबिकापुरApr 08, 2023 / 09:16 pm

संजय तिवारी

जच्चा-बच्चा की मौत के मामले में कार्रवाई से असंतुष्ट पिता की एसपी से फरियाद

अंबिकापुर। नर्सिंग होम में जच्चा-बच्चा मौत के मामले में अब तक पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज नही किए जाने से असंतुष्ट मृतका के पिता ने एसपी से न्याय की गुहार लगाई है।मृतिका के पिता महेंद्र साहू ने एसपी को एक ज्ञापन देकर कहा है कि पुत्री पूजा साहु उम्र 23 वर्ष का विवाह दो वर्ष पूर्ण भनेश्वरपुर चिखला पारा में रामानारायण साहू पिता राम गोपाल साहू के साथ हुआ था।
गर्भवती पुत्री का सुरक्षित प्रसव हो सके इसके लिए 3 अप्रेल को विधिवत पर्ची कटाकर 100 बिस्तरीय अस्पाताल में जिला अस्पताल परिसर में भर्ती कराया था। यहां 2 दिनों तक इलाज नही होने के कारण इस दौरान अस्पताल में नर्स व डॉ रश्मि कुमार ने कहा कि मेरा खुद का सर्व सुविधायुक्त नर्सिंग होम है, जहां सुरक्षित प्रसव करा दूंगी, जच्चा-बच्चा सुरक्षित रहेंगे।
डॉ. द्वारा स्टाफ से रेफर हेतु दस्तावेज दिया गया, वहां से निजी वाहन से नर्सिंग होम ग्राम तिलसिवां पहुंचे। नर्सिंग होम में इलाज का दर बताया गया, जिसमें नार्मल डिलीवरी का 15 हजार बताया गया, मेरे द्वारा 10000 रुपए जमा किए गए। इसके बाद उपचार प्रारंभ किया गया। परीक्षण कर बताया गया कि मां के पेट में बच्चा सुरक्षित है, जिसकी नार्मल डिलीवरी होगी। 4 अप्रैल की रात्रि के बाद 5 अप्रैल की सुबह बताया गया कि ऑपरेशन करना पड़ेगा। मेरे द्वारा सहमति देने पर ऑपरेशन किया गया और मृत शिशु होना बताया गया।
ऑपरेशन के बाद खून की जरूरत बताने पर महिला चिकित्सक ने जिला अस्पताल में फोन के माध्यम से चर्चा कर वहां स्थित शासकीय ब्लड बैंक में मेरा नाम लेकर खून की थैली लेकर आने को कहा। बताए अनुसार अस्पताल पहुंचा जहां 1450 रुपए फीस देकर खून की थैली लेकर नर्सिंग होम पहुंचा। फिर 5 अप्रैल की शाम को महिला डॉक्टर द्वारा बोला गया कि नवजात के शव को ले जाइए और बोलीं कि ये कपड़ा है गड्ढा खोदकर रेण नदी में दफना दीजिए। उनके कहे अनुसार रेण नदी जाकर नवजात के शव को गड्ढा खोदकर दफना दिया गया। नदी में शिशु को दफन करने के बाद जब वापस अस्पताल पहुंचा तो फिर कहा गया कि एक थैली खून की आवश्यकता है आप जिला अस्पताल के ब्लड बैंक चल जाइए, मेरी बात हो गई है, वहां फीस देकर खून की थैली ले आइए। फिर मैं ब्लड बैंक जाकर 1450 रुपए जमा कर ब्लड की थैली लेकर आया।
इसके बाद अस्पताल से लाए खून की थैली को ठण्डा होना कहकर कपड़े में गर्म किया गया और स्टाफ द्वारा खून चढ़ाया गया। इस दौरान मेरी पुत्री पूजा साहू की तबीयत खराब होने लगी। मेरे द्वारा आपातकाल नंबर 108 में कॉल कर बुलाया गया। मुझे बोला गया कि आपके पुत्री पूजा साहू को कुछ नहीं होगा। लेकिन आखिरकार मेरी पुत्री की मौत हो चुकी थी। इसके बाद डॉ. रश्मि कुमार ने मुझे अपने पास बुलाया और जितना जल्दी हो सके शव ले जाने को कहा। लेकिन रात होने के कारण शव ले जाने में मेरे द्वारा असमर्थता जताई गई।
इस दौरान डॉ. रश्मि ने दबाव बनाया और पैसे ले लो, जाओ कहा गया। फिर 6 अप्रैल को सुबह मैं कोतवाली गया और मामले की सूचना देकर अपराध पंजीबद्ध करने की मांग की गई, लेकिन आज दिनांक तक विवेचना कर रहे हैं, कहा जा रहा है। एसपी को दिए ज्ञापन में महिला चिकित्सक और उनके सहयोगियों द्वारा घोर लापरवाही का आरोप लगाते हुए रिपोर्ट दर्ज कर कार्यवाही की मांग की गई है।

नर्सिंग होम है सील
इस मामले में जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए नर्सिंग होम को सील कर दस्तावेज आदि जब्त किए हैं। प्रशासन द्वारा जांच की जा रही है।पुलिस भी जांच की बात कह रही है। वहीं इस पूरे मामले को लेकर स्थानीय लोगों ने भी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं। लोगों का कहना है कि सूरजपुर की पुलिस कैसे और किस तरह जांच करती है यह सर्वविदित है।

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