अंबिकापुर-बिलासपुर मार्ग पर शहर से लगे ग्राम लोधिमा निवासी संतोषी बाई पिछले कुछ दिनों से पेट दर्द से पीडि़त थी। ज्यादा तबियत बिगडऩे पर परिजन 29 सितंबर की शाम को इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे थे। आपातकालीन ड्यूटी के डॉक्टर से इलाज के बाद उसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
दूसरे दिन सुबह महिला को सर्जरी विभाग के डॉक्टर को दिखाया गया। चिकित्सक ने पहले सोनोग्राफी करवाने की बात कही। परिजन सोनोग्राफी करवाने पहुंचे तो पता चला कि उस दौरान केवल इमरजेंसी वालों की सोनोग्राफी की जा रही थी। अस्पताल में सोनोग्राफी नहीं होने पर परिजन निजी डायग्नोस्टिक सेंटर गए।
यहां सोनोग्राफी करवाकर रिपोर्ट उन्होंने मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने रिपोर्ट देखकर कहा कि महिला के बच्चेदानी में सूजन है। इसका इलाज मेडिकल कॉलेज अस्पताल में संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर बेहतर इलाज करवाना है तो मरीज को रायपुर या निजी अस्पताल में लेकर जाएं। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज नहीं होने पर मरीज को एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाकर ऑपरेशन कराया गया।
निजी अस्पताल भेजने का आरोप
महिला के परिजन ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सक पर जान-बूझकर उसे निजी अस्पताल भेजने का आरोप लगाया है। परिजन का कहना है कि बड़ी उम्मीद से इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे थे। पर यहां के चिकित्सक ने निजी लाभ के लिए प्राइवेट अस्पताल भेज दिया।
निजी अस्पताल बना रहा रुपए के लिए दबाव
परिजन का कहना है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल और निजी अस्पताल संचालकों के बीच मिलीभगत का खेल चल रहा है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज संभव नहीं है कह कर चिकित्सक ने उन्हें एक निजी अस्पताल में भेज दिया।
यहां भर्ती कराने से पूर्व निजी अस्पताल प्रबंधन ने आयुष्मान कार्ड से इलाज करने का हवाला दिया था। ऑपरेशन करने के बाद परिजन पर अब रुपए जमा करने का दबाव डाला जा रहा है।
मेरे पास नहीं आई है शिकायत
मुझे इस मामले की जानकारी नहीं है। अगर कोई शिकायत करता है तो मामले की जांच कराई जाएगी। जांच में अगर कोई भी चिकित्सक दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. आरसी आर्या, एमएस, मेडिकल कॉलेज अस्पताल
बिना इलाज किए डॉक्टर ने भेजा निजी अस्पताल
29 सितंबर की शाम को पेट दर्द की शिकायत पर मां को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया था। ओपीडी नंबर 5 के डॉक्टर ने सोनोग्राफी रिपोर्ट देखकर बिना इलाज किए हमें पास के निजी अस्पताल भेज दिया था।
सुमन केरकेट्टा, पीडि़ता की बेटी