Parents locked school: जर्जर आंगनबाड़ी केंद्र की टपकती छत के नीचे पढ़ते हैं प्राइमरी स्कूल के 31 छात्र, गुस्साए अभिभावकों ने जड़ा ताला
Parents locked school: छात्रों के अभिभावकों का कहना है कि यहां खतरे के बीच पढ़ाई कर रहे हैं बच्चे, जिम्मेदारों को देना चाहिए ध्यान, ताला जडऩे की जानकारी मिलने के बाद पहुंचे बीआरसी, समझाइश के बाद खुला ताला
अंबिकापुर. Parents locked school: मैनपाट विकासखंड के ग्राम बहलापारा स्थित प्राइमरी स्कूल का खुद का भवन ही नहीं है। ऐसे में प्राइमरी स्कूल के बच्चों को आंगनबाड़ी भवन में पढ़ाया जा रहा है। आंगनबाड़ी भवन (Parents locked school) की हालत भी काफी जर्जर है। बारिश में छत से पानी टपकता है। छत के गिरने की भी आशंका बनी हुई है। इसके बावजूद खतरे के बीच छात्र पढऩे को विवश हैं। विभाग की उदासीनता व बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए गुरुवार को आक्रोशित ग्रामीणों ने आंगनबाड़ी भवन में संचालित स्कूल में ताला जड़ (Parents locked school) दिया। सूचना पर पहुंचे बीआरसी की समझाइश के बाद ग्रामीणों ने स्कूल का ताला खोला।
मैनपाट विकासखंड के ग्राम बहलापारा में संचालित प्राइमरी स्कूल का भवन जर्जर हो गया था। इस वजह से उसे पिछले वर्ष डिस्मेंटल कर दिया गया था। इसके बाद स्कूल का संचालन जर्जर आंगनबाड़ी भवन (Parents locked school) में कराया जा रहा है। यहां प्राइमरी कक्षा में 31 बच्चे अध्ययनरत हैं। इसके अलावा यहां 32 बच्चों के साथ बालबाड़ी का संचालन भी किया जाता है।
स्कूल में 3 शिक्षक पदस्थ हैं। आंगनबाड़ी केन्द्र भी काफी जर्जर है। इस वजह से बच्चों को पढ़ाई करना काफी मुश्किल हो रहा है। अधिक बारिश की स्थिति में शिक्षकों को स्कूल की छुट्टी करनी पड़ जाती है। इससे नाराज ग्रामीणों ने आंगनबाड़ी भवन में संचालित प्राथमिक स्कूल में शिक्षकों व बच्चों को बाहर निकालकर ताला (Parents locked school) लगा दिया।
Parents locked school: काफी देर तब बाहर रहे बच्चे व शिक्षक
शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली को देखते हुए अभिभावकों में आक्रोश है। वे विवशता में जर्जर आंगनबाड़ी भवन में अपने बच्चों को पढऩे के लिए भेज रहे हैं। जबकि हादसे की आशंका बनी हुई है। ग्रामीणों द्वारा ताला जड़े जाने से काफी देर तक शिक्षक व बच्चे स्कूल के बाहर खड़े रहे। सूचना पर पहुंचे बीआरसी बलवीर गिरी की समझाइश के बाद ग्रामीणों ने ताला खोला।
जिले में कई स्कूल भवन जर्जर स्थिति में हैं तो कई अति जर्जर भवन होने के कारण उन्हें डिस्मेंटल कर दिया गया है। जिले में करीब 80 स्कूल आंगनबाड़ी व पंचायत भवन में जैसे-तैसे संचालित हो रहे हैं।
विभागीय उदासीनता व निर्माण एजेंसी आरईएस व हाउसिंग बोर्ड की लापरवाही के कारण जिले के 204 स्कूलों का निर्माण नहीं हो सका है। इसमें अधिकांश प्राइमरी स्कूल शामिल हैं। इन स्कूल के बच्चों के पढ़ाई के लिए वैकल्पिक व्यवस्था आंगनबाड़ी व पंचायत भवन में की गई है।
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