28 सितंबर की तड़के बीमार पंडो जनजाति युवक की मौत मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हो गई। वहीं 22 दिन के भीतर इस परिवार के 3 लोगों की मौत हो चुकी है।
गौरतलब है कि नकुल पण्डो पिता स्व. रामप्यारे पण्डो 25 वर्ष ग्राम बिरेंद्रनगर का रहने वाला था। वह काफी दिनों से बीमार चल रहा था। समय पर इलाज नहीं मिल पाने के कारण वह घर में ही झाड़-फूंक और जड़ी-बूटी से इलाज करा रहा था। कुछ दिन पूर्व जिला प्रशासन की टीम गांव में पहुंची थी तो पता चलने पर उसे सहारा देकर अस्पताल पहुंचाया गया था। मुरकौल स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया था।
गौरतलब है कि नकुल पण्डो पिता स्व. रामप्यारे पण्डो 25 वर्ष ग्राम बिरेंद्रनगर का रहने वाला था। वह काफी दिनों से बीमार चल रहा था। समय पर इलाज नहीं मिल पाने के कारण वह घर में ही झाड़-फूंक और जड़ी-बूटी से इलाज करा रहा था। कुछ दिन पूर्व जिला प्रशासन की टीम गांव में पहुंची थी तो पता चलने पर उसे सहारा देकर अस्पताल पहुंचाया गया था। मुरकौल स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया था।
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इसी बीच लोगों को जानकारी मिली की नकुल पंडो की स्थिति ठीक नहीं है और वो खून की उल्टी कर रहा है। ऐसे में उसे इलाज के लिए अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था, यहां इलाज के दौरान 28 सितंबर की सुबह उसकी मौत हो गई।
22 दिन में परिवार के 3 सदस्यों की मौत
बताया जा रहा है कि मृतक नकुल पण्डो के पिता रामप्यारे पंडो की मौत बीमारी से ही 5 सितंबर को हो गई थी। इसके कुछ दिन बाद मृतक नकुल पंडो की दादी की भी मौत 16 सितंबर को बीमारी के कारण घर में ही हो गई थी। इसके बाद नकुल पंडो बीमारी से जूझ रहा था। समय पर इलाज उसे न मिल पाने के कारण अंतत: उसकी भी मौत हो गई।
परिवार के बीच आर्थिक संकट
22 दिन के अंदर एक ही घर से 3लोगों की मौत हो जाने से पूरा परिवार टूट चुका है। मृतक नकुल पंडो की दो बेटियां हैं। वहीं इसकी पत्नी व विधवा मां की भी जिम्मेदारी इसी पर थी। बीमारी से इसकी भी मौत हो जाने के कारण यह पूरा परिवार असहाय हो चुका है। परिवार में आर्थिक समस्या खड़ी हो गई है।
सही इलाज नहीं होने से मौत का आरोप
परिजनों व समाज के लोगों का आरोप है कि मृतक नकुल पंडो को मुरकौल स्वास्थ्य केंद्र में जांच किया गया था। इसके बाद घर भेज दिया गया था। इसके बाद नकुल पण्डो को घर जाकर कभी स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोई जांच नहीं की गई और न जानकारी ली गई।
अगर स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ था तो उसे बेहतर इलाज के लिए बलरामपुर जिला अस्पताल या अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर करना चाहिए था। जबकि मुरकौल स्वास्थ्य केंद्र द्वारा उसे घर भेज दिया गया था।