गौरतलब है कि कमलेश साहू नामक युवक ने छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष, जेल महानिदेशक, गृह विभाग के सचिव, सरगुजा कलेक्टर व सेंट्रल जेल अंबिकापुर के अध्यक्ष को 5 दिन पूर्व एक शिकायत पत्र सौंपा था। इसमें उसने इस बात का जिक्र किया था कि सेंट्रल जेल अंबिकापुर में उसकी मौसी पिछले 6 माह से निरुद्ध है।
मौसी ने बताया कि है कि जेल में अच्छे से रहने के लिए उन्हें महिला जेल अधिकारी व प्रहरी को हर महीने पैसे देने होंगे। पैसे नहीं देने पर जेल में निरुद्ध महिला बंदियों से महिला जेल प्रहरियों द्वारा उनके कपड़े उतरवाकर अमानवीय व्यवहार किया जाता है। यही नहीं, इस दौरान वीडियो भी बनाया जाता है। शिकायत के बाद अंबिकापुर से लेकर राजधानी तक हडक़ंप मच गया था।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने गठित की जांच टीम
मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने मामले की जांच के लिए 27 जून को 2 सदस्यीय टीम का गठन किया था। इसमें आयोग की सदस्य अंबिकापुर निवासी नीता विश्वकर्मा एवं कोरबा निवासी अर्चना उपाध्याय को शामिल किया गया था।
उन्हें मामले की जांच कर 7 दिन के भीतर रिपोर्ट पेश करने कहा गया था। टीम की दोनों सदस्यों ने बुधवार को केन्द्रीय जेल का निरीक्षण किया। निरीक्षण करीब तीन घंटे तक चला। आयोग की सदस्य नीता विश्वकर्मा ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक के निर्देश पर मामले की जांच की गई है। इस दौरान महिला बंदियों से संपूर्ण मामले में पूछताछ की गई। जांच पूर्ण होने के बाद रिपोर्ट आयोग के अध्यक्ष को भेज दी गई है।