सरगुजा रेंज के आईजी अंकित गर्ग ने कहा कि समाज के सभी वर्गों को प्रभावित करने वाले कानूनों की जानकारी आम लोगों को भी होनी चाहिए। इस कार्यशाला का उद्देश्य भी यही है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रचलित क़ानून सन् 1860 से देश में प्रभावशील था और यही कानून आम लोगों की सामान्य दिनचर्या का हिस्सा रहे हैं।
पूर्व प्रचलित कानून लंबे समय से चले आ रहे थे। उन्होंने कहा कि नवीन कानून मे जीरो एफआईआर की सुविधा है, जिसमें आम व्यक्ति किसी भी क्षेत्र के थाने मे अपनी शिकायत एवं रिपोर्ट दर्ज करा सकता है। थाना छेत्र की सीमा को दूर करने अन्य प्रावधान भी दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि जीरो एफआईआर के तहत अपराध दर्ज कर संबंधित थाने को प्रकरण अग्रिम जांच हेतु निश्चित समयावधि मे भेजना होगा। साथ ही नवीन कानून में ऐसे ही कई बदलाव किए गए हैं, जो आम नागरिकों के प्रति जवाबदेही तय करते हैं। नवीन कानूनों में दंड व्यवस्था से न्याय व्यवस्था की ओर कदम बढ़ाया गया हैं।
कार्यक्रम में पीजी कॉलेज प्राचार्य, साईं बाबा कॉलेज के प्राचार्य, सहायक अभियोजन अधिकारियों, नवाबिहान टीम, ब्रम्हकुमारी बहनों, विधि विशेषज्ञों के अलावा पुलिस अधिकारियों द्वारा भी नए कानून की जानकारी दी गई।
ये होंगे प्राथमिक साक्ष्य
आईजी ने कहा कि नवीन कानून भारतीय परिस्थितियों को ध्यान मे रख कर तैयार किया गया है। वीडियोग्राफी, ऑडियोग्राफी जैसे महत्वपूर्ण साक्ष्य को प्राथमिक साक्ष्य के रूप शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि पुराने कानून की स्वीकार्यता नवीन परिस्थितियों के हिसाब से भिन्न थी। साइबर अपराध, आतंकवाद, संगठित अपराध, मॉब लिंचिंग संबंधी अपराधों की नवीन परिस्थितियों को ध्यान मे रखकर नवीन क़ानून को लागू करना जरूरी था।
नागरिक केंद्रित है कानून
कलेक्टर विलास भोसकर ने कहा कि पुराने कानूनों में कुछ व्यवहारिक परिवर्तन किया गया है। कुछ नियम बदले गए हैं और कुछ नियम जो वर्तमान के लिए आवश्यक थे, उन्हें जोड़ा गया है। जिला प्रशासन, पुलिस एवं न्यायालय द्वारा आम नागरिकों को नवीन क़ानून के संबंध मे सम्यक जानकारी दी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि न्याय प्रणाली मे पारदर्शिता लाने के लिए नागरिक केंद्रित कानून बनाया गया हैं। नवीन कानूनों को जन-जन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी हम सबकी है। उन्होंने लोगों को अपने अधिकारों की रक्षा हेतु नए कानून को आत्मसात करने कहा।
नए कानून सभी को करेंगे प्रभावित
एसपी योगेश पटेल ने कहा कि जो कानून अंग्रेजों द्वारा उस समय की परिस्थितियों को देखकर बनाए गए थे, उनमें आज की परिस्थितियों के हिसाब से बदलाव आवश्यक था। तीनों नवीन क़ानून वर्तमान मे लागू किया जाना है। आपराधिक कानून देश के प्रत्येक व्यक्ति पर लागू होते हैं और सबको प्रभावित करते हैं। नवीन क़ानून मे नए अपराध को सम्मिलित कर नए कानून लाए गए हैं। उन्होंने बताया कि नवीन कानूनों मे ई-एफआईआर इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से दर्ज करा सकते हैं।
कोर्ट की प्रक्रिया के लिए तय किया गया समय
एसपी ने कहा कि बच्चों एवं महिलाओं से जुड़े अपराध के विरुद्ध सख्ती से कार्यवाही के प्रावधान किए गए हैं। साथ ही आतंकवाद, मॉब लिंचिंग मे सख्त प्रावधान किये गए हैं। पूर्व मे कोर्ट की प्रक्रिया में काफी समय लगता था, जिसे अब समय सीमा के अंदर तय किया गया है।कार्यशाला में ये हुए शामिल
कार्यशाला में सुजीत कुमार डीआईजी 10 वीं वाहिनी सिलफिली, एएसपी अमोलक सिंह ढिल्लो, सीएसपी रोहित शाह, एसडीओपी ग्रामीण अमित पटेल, उप पुलिस अधीक्षक जयराम चेरमाको, संभागीय सेनानी नगर सेना राजेश पांडेय, प्राचार्य पीजी कॉलेज रिजवान् उल्ला, रक्षित निरीक्षक तृप्ति सिंह राजपूत, निरीक्षक मनीष सिंह परिहार, निरीक्षक प्रदीप जायसवाल, निरीक्षक दुर्गेश्वरी चौबे, प्राचार्य साईं बाबा कॉलेज राजेश श्रीवास्तव के अलावा बृजेश राय विभागाध्यक्ष विधि संकाय, श्रुति कांबले एडीपीओ, जितेश्वरी सोनवानी, एडीपीओ, डॉ. मिलेन्द्र सिंह सहायक प्राध्यापक, उप निरीक्षक अभय सिंह, सहायक उप निरीक्षक अभय तिवारी समेत समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधि, एनजीओ एवं पुलिस अधिकारी-कर्मचारी व छात्र-छात्राएं शामिल रहे।