उन्होंने कहा कि सर्व आदिवासी समाज के लगातार निवेदन, आवेदन, ज्ञापन सौंपने के बाद भी वर्ष 2001 में जो 32 प्रतिशत आरक्षण मिलना था लेकिन नहीं मिल पाया। परिसीमन में आदिवासियों के लिए आरक्षित पांच सीटों को हटा दिया गया। पेशा कानून का नियम बहुत लंबी प्रतीक्षा के बाद बना, लेकिन उस नियम में ग्राम सभा के अधिकार खत्म कर दिए गए।
डेढ़ दशक से अधिक बीत गए, किसी की सरकार ने नक्सल समस्या, विकास कार्यों के नाम पर आदिवासियों के विस्थापन, जमीन के मामले सहित 23 सूत्रीय मांगों को लेकर किए जा रहे लगातार आंदोलन को गंभीरता से नहीं लिया। ऐसे में समाज के लिए कुछ करने के उद्देश्य से प्रदेशभर के सभी पदाधिकारी छह माह से लगे हैं।
रायपुर में हुई बैठक में कमेटी ने तय किया कि अपने हक की लड़ाई के लिए सर्व आदिवासी समाज चुनावी मैदान में उतरेगा।
आदिवासी अपने अधिकार से हो रहे वंचित
अरविंद नेताम ने कहा कि आदिवासियों पर लगातार प्रताडऩा बढ़ती जा रही है। आदिवासी अपने अधिकार से वंचित हो रहे हैं। वर्तमान में आरक्षित सीटों से जीते हुए विधायक आदिवासियों के मुद्दे को रखने में असफल हैं।
आदिवासी अपने अधिकार से हो रहे वंचित
अरविंद नेताम ने कहा कि आदिवासियों पर लगातार प्रताडऩा बढ़ती जा रही है। आदिवासी अपने अधिकार से वंचित हो रहे हैं। वर्तमान में आरक्षित सीटों से जीते हुए विधायक आदिवासियों के मुद्दे को रखने में असफल हैं।
इस दौरान सेवानिवृत्त डीआईजी अकबर राम कोर्राम, बीईओ की नौकरी छोडक़र समाजहित में काम कर रहे विनोद नागवंशी ने प्रदेश सरकारों की अनदेखी को लेकर नाराजगी जाहिर की। पत्रकारों से चर्चा के दौरान गोड़ समाज विकास समिति के राम प्रकाश पोर्ते, अधिवक्ता अनुक प्रताप टेकाम, सेवानिवृत्त कार्यपालन अभियंता जिवराखन लाल सहित समाज के अन्य लोगों की उपस्थिति रही।
50 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का लक्ष्य
अरविंद नेताम ने कहा कि आरक्षित व सामान्य सीटों पर दावेदारी को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने कहा कि प्रदेश में 29-30 रिजर्व सीटों के साथ ही 20 से 25 सामान्य सीटें, जहां 80 हजार तक आदिवासी मतदाता हैं, वहां छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज की ओर से प्रत्याशी मैदान में उतारे जाएंगे। प्रदेश के 50 सीटों पर प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारने का लक्ष्य रखा गया है।