अंबिकापुर। Naxal Terror: आज से 10 वर्ष पूर्व बलरामपुर जिला के बूढ़ापहाड़ व इसके आसपास का इलाका नक्सलियों का गढ़ माना जाता था। यहां नक्सली लोगों को लाल आतंक का पाठ पढ़ाते थे। लेकिन सुरक्षा बलों की मुस्तैदी के कारण अब यहां की स्थिति पूरी तरह बदल गई है। सुरक्षा बलों के संरक्षण में बच्चे लोकतंत्र की भाषा सीख रहे हैं। झारखंड व छत्तीसगढ़ की सीमा के नन्हे बच्चे सीआरपीएफ कैंप में आकर पढ़ाई कर रहे हैं।
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बलरामपुर-रामानुजगंज जिले का बूढ़ापहाड़ झारखंड सीमा से लगा है और ये कभी नक्सलियों का गढ़ हुआ करता था। सुरक्षा बलों के अथक प्रयास से अब इन इलाकों में विकास की बयार बह रही है। बूढ़ापहाड़ में तैनात सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व बल) और जिला पुलिस ने मिलकर यहां के लोगों को शिक्षित किया। सीआरपीएफ के जवान बूढ़ापहाड़ और उसके आसपास के गांव के बच्चों को पढ़ा रहे हैं और उन्हें पाठ्य सामग्री के साथ स्कूली ड्रेस भी दी गई है। बच्चे प्रतिदिन सीआरपीएफ कैंप में पढ़ाई करने पहुंच रहे हैं। बच्चों को सीआरपीएफ कैंप में कंप्यूटर समेत कई विषयों की पढ़ाई कराई जा रही है।
सीआरपीएफ के अधिकारी पढ़ाते हैं बच्चों को बूढ़ापहाड़ और उसके आसपास के 12 किलोमीटर के दायरे में मात्र दो सरकारी स्कूल हैं। छत्तीसगढ़ के पुंदाग इलाके में एक स्कूल है। पड़ोसी राज्य झारखंड सीमा के नजदीक बहेराटोली गांव में स्कूल है। सीआरपीएफ कैंप में पुंदाग, भुताही इलाके के करीब 50 बच्चे पढ़ाई करते हैं। ये बच्चे करीब दो किलोमीटर का पैदल सफर तय कर पढ़ाई के लिए यहां पहुंचते हैं। कैंप में तैनात असिस्टेंट कमांडेंट, इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी बच्चों को पढ़ाते हैं।
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बच्चों को हो गया है लगाव कैंप में बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ उनके मनोरंजन का भी ख्याल रखा गया है। बच्चों के लिए साइकिल, फुटबॉल सहित अन्य खेल सामग्री उपलब्ध है। जवानों ने बताया कि बच्चों को यहां से लगाव हो गया है। नक्सलियों का गढ़ माना जाता था बूढ़ापहाड़ बूढ़ापहाड़ छत्तीसगढ़ व झारखंड पर काफी दुर्गम इलाका है, इसलिए यह दशकों से नक्सलियों का गढ़ रहा। नव गठित छत्तीसगढ़ और झारखंड राज्य ने संयुक्त ऑपरेशन चलाकर यहां से नक्सलियों का सफाया कर दिया।
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