नवरात्रि (Navratra 2024) के प्रथम दिवस माता के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की गई। शैलपुत्री का अर्थ पहाड़ों वाली माता होता है। माता के इस स्वरूप की पूजा से भक्तों की मुरादें पूरी होतीं हैं। काफी संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालुओं ने मां के इस रूप की पूजा कर परिवार के सुख-समृद्धि की कामना की। वहीं पहले दिन मां का खास श्रंृगार किया गया।
इसके बाद शुभ मुहूर्त में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित (Navratra 2024) किए गए। शहर के महामाया मंदिर, समलाया मंदिर, मां दुर्गा शक्तिपीठ गांधी चौक, संत हरकेवल मंदिर, काली मंदिर, रघुनाथपुर मंदिर, शीतला मंदिर सहित शहर के सभी देवी मंदिरों में माता की आराधना करने श्रद्धालु पहुंचे। मंदिरों में देवी भागवत कथा, दुर्गा पाठ व भजन-कीर्तन किया जा रहा है।
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घट स्थापना कर मां महामाया की हुई पूजा
माता के दर्शन के लिए सुबह से ही महामाया मंदिर सहित दुर्गा मंदिर, गौरी मंदिर व अन्य मंदिरों में श्रद्धालओं की लंबी-लंबी कतारें लगी हुई थी। सुबह से नवरात्रि (Navratra 2024) के प्रथम दिवस हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचेे। दोपहर में माता के मंदिर में मुख्य कलश स्थापित करने के बाद मंत्रोच्चारण के साथ ही विधिवत पूजन हुआ। इसके बाद सैकड़ों ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किए गए। माता के दरबार में ज्योत जलाकर भक्त मन्नत पूरी होने की कामना करते नजर आए। सरगुजा रियासत व मां महामाया मंदिर के पुरोहित ने मंदिर में घट स्थापना कर अंबिकापुर की आराध्य मां महामाया (Navratra 2024) की पूजा की।
इस दौरान आम लोगों के लिए मंदिर का द्वार बंद कर दिया गया। लगभग 1 घंटे बाद माता का दरबार खुला और लोगों ने दर्शन किए। इसके बाद विधिवत पूजा-अर्चना कर मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किए गए।
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