मैनपाट के ग्राम बरिमा पकरीपारा निवासी देवधन माझी महाराष्ट्र के पुणे में मजदूरी करने गया है। घर पर उसकी पत्नी सुधनी 3 बेटियों व एक बेटे के साथ रह रही थी। शनिवार की रात को मां ने तीन बच्चों 8 वर्षीय गुलाबी, 6 वर्षीय सुषमा व 4 वर्षीय रामप्रसाद को एक कमरे में सुला दिया था।
इसके बाद बाहर से घर के दरवाजे को बंद कर बड़ी बेटी के साथ पड़ोस में चल रही बकरा पार्टी में चली गई थी। देर रात को जब वह नशे की हालत में लौटी तो घर में आग लगी हुई थी।
महिला की चिल्लाने की आवाज सुनकर गांव वाले पहुंचे और आग बुझाने की काशिश की। लेकिन संसाधन न होने के कारण आग बुझाने में काफी विलंब हुआ।
दरवाजा बंद होने के कारण भागने का नहीं मिला मौका
आग लगने के बाद ग्रामीणों ने मिलकर काफी मशक्कत के बाद इस पर काबू पाया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। आग बुझने के बाद तीनों बच्चों के शव आपस में लिपटे मिले।
दरवाजा बंद होने के कारण भागने का नहीं मिला मौका
आग लगने के बाद ग्रामीणों ने मिलकर काफी मशक्कत के बाद इस पर काबू पाया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। आग बुझने के बाद तीनों बच्चों के शव आपस में लिपटे मिले।
अनुमान लगाया जा रहा है कि घर में आग लगने पर तीनों बच्चे बाहर निकलने की कोशिश कर रहे होंगे, लेकिन दरवाजा बंद होने के कारण भाग नहीं पाए। इस दौरान उन्होंने एक-दूसरे को बांहों में भर लिया होगा और उसी हालत में जल गए।
12 लाख की सहायता राशि स्वीकृत
घटना की सूचना पर सीतापुर विधायक रामकुमार टोप्पो, एसपी विजय अग्रवाल रविवार को घटनास्थल पर पहुंचे। पुलिस ने शवों का पीएम कराकर परिजन को सौंप दिया है। इस हृदयविदारक घटना से मैनपाट में शोक का माहौल है। आग कैसे लगी, इसका पता नहीं चल सका है। वहीं जिला प्रशासन द्वारा इस घटना को लेकर मृत बच्चों की मां सुधनी बाई के नाम 12 लाख रुपए की सहायता राशि स्वीकृत की है।