इस संबंध में जगन्नाथ मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष मनोज कंसारी ने बताया कि जगन्नाथ महाप्रभु के लिए सहस्त्रधारा स्नान 22 जून को आयोजित की गई। प्रति वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन जगन्नाथ जी, बलभद्र और सुभद्रा बहन को सहस्त्रधारा स्नान कराया जाता है।
जगन्नाथ जी को 35 घड़े से, बलभद्र को 33 घड़े, सुभद्रा 22 घड़े और सुदर्शन चक्र को 18 घड़े से स्नान करवाते हैं। इस तरह भगवान के विग्रहों को 108 घड़ों के जल से सहस्त्रधारा स्नान करवाया जाता है। माना जाता है कि स्नान के पश्चात प्रभु जगन्नाथ बीमार हो जाते हैं।
इस कारण से 14 दिनों के लिए मंदिर के कपाट भक्तों के दर्शन के लिए बंद कर दिए जाते हैं और भगवान एकांतवास में चले जाते हैं। इसे अनवसर काल भी कहा जाता है। भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath Rath Yatra) को जड़ी बूटी से बना काढ़ा, फलों का रस, खिचड़ी दलिया का भोग लगाया जाता है। भगवान जगन्नाथ को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान करवाया जाता है, जिसे स्नान यात्रा कहा जाता है।
स्नान यात्रा के दिन जगन्नाथ के गजानन वेश के दर्शन होते हैं। इसके बाद जब महाप्रभु स्वस्थ होते हैं तो वे अपने भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर 9 दिनों के लिए रहने जाते हैं जिसके लिए परम्परा अनुसार रथयात्रा निकाली जाती है।
रथ का मरम्मत कार्य पूर्ण
इस वर्ष 7 जुलाई को रथयात्रा (Lord Jagannath Rath Yatra) निकाली जाएगी, जिसकी भव्य तैयारी उत्कल समाज व जगन्नाथ मंदिर समिति द्वारा कर ली गई है। रथ के मरम्मत व मंदिर के रंगरोगन का कार्य अब अंतिम चरण में है। समिति द्वारा विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी रथयात्रा के लिए काफी तैयारियां की गई है।ओडिशा के पुजारी कराएंगे पूजा
अम्बिकापुर के जगन्नाथ मंदिर के पुजारी बैकुंठनाथ पंडा काफी दिनों से अस्वस्थ हैं तथा अभी जिला अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। इस वजह से समिति द्वारा ओडिशा से शंभू नाथ पंडा को यहां बुलवाया गया है, जो समस्त पूजा कराएंगे। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाने वाली रथ यात्रा के लिए इस बार 7 जुलाई को प्रात: पुष्य नक्षत्र में 5.40 बजे जगन्नाथ महाप्रभु का नेत्र उत्सव पूजन होगा। तत्पश्चात मंगल आरती उपरांत श्री गुंडीचा रथ यात्रा पूजा प्रात: 8 से 11.26 के बीच शुभ मुहुर्त में सम्पन्न होगा। इसके बाद आहूति उपरांत रथ को दोपहर 12.30 बजे निकाला जाएगा।