सरगुजा में पुटू के बाद अब खुखड़ी (देशी मशरूम) की डिमांड काफी बढ़ गई है। ग्रामीण इसे लेकर शहर में पहुंच रहे हैं और हाथों-हाथ यह बिक जा रही है। सरगुजा जिले में साल व सागौन के मिश्रित वन होने के कारण दीमक का प्रकोप यहां ज्यादा देखने को मिलता है।
शुद्ध देशी खुखड़ी में दाल से भी अधिक प्रोटीन होता है। हाईप्रोटीन व मिनरल्स होने के कारण यह शरीर की इम्यूनिटी भी बढ़ाता है। युवा वैज्ञानिक डॉ. प्रशांत शर्मा का कहना है कि खुखड़ी बहुतायत में दीमक के टीलों के पास पाए जाते हैं। दीमक को ही इसका जनक माना जा सकता है।
स्थानीय बोली में कहते हैं पिहरी
सरगुजा में साल व सागौन के मिश्रित वन हैं। मिश्रित वनों में 15 जुलाई से लेकर 31 अगस्त तक खुखड़ी उगता है। खुखड़ी को स्थानीय बोली में ‘पिहरी’ के नाम से भी जाना जाता है। विशिष्ट स्वाद व पौष्टिकता के कारण प्राकृतिक रूप से मिलने वाले मशरूम को लोग काफी पसंद करते हैं।
सरगुजा जिले की मिट्टी लाल है, इसमें मीठापन होता है। इसी मिट्टी में साल और सागौन की पत्तियों से दीमक अधिक लगते हैं। इस कारण वे जंगलों में टीले बना लेते हैं। इसी लाल मिट्टी व दीमक की क्रिया से खुखड़ी उत्पन्न होता है।
वैज्ञानिक डॉ. प्रशांत का है ये कहना
कलेक्टोरेट स्थित बायोटेक लैब के वैज्ञानिक डॉ. प्रशांत ने बताया कि प्रारंभिक पड़ताल के आधार पर ऐसी मिट्टी जहां दीमक का प्रकोप ज्यादा होता है, ऐसे स्थानों पर विशेष यौगिक मिट्टी में पाए जाते हैं। यहां सूक्ष्म जीवों में विशेष क्रिया होती है, यही वजह है कि सरगुजा में पौष्टिक मशरूम या खुखड़ी मिलता है।