आज हम आपको ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां देवी-देवता की जगह दानव की पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि यहां चढ़ाया हुआ प्रसाद भी घर नहीं लाया जाता। मन्नत पूरी होने के बाद मुर्ग-बकरों की बलि देने के साथ ही शराब भी चढ़ाया जाता है।
छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के खोपा धाम में दानव की पूजा होती है। खोपा नामक गांव में धाम होने के कारण यह खोपा धाम के नाम से प्रसिद्ध है। यहां छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों के लोग भी पूजा करने आते हैं। नारियल व सुपाड़ी चढ़ाकर पहले लोग पूजा कर मन्नत मांगते हैं।
फिर मन्नत पूरी होने पर बकरे की बलि चढ़ाते हैं। पूर्व में यहां महिलाओं के पूजा करने पर पाबंदी थी लेकिन अब महिलाएं भी पूजा करने आती हैं। खास बात यह है कि यहां चढ़ाए गए बकरे-मुर्गे व अन्य प्रसाद घर नहीं लाया जाता है।
दानव की पूजा करने के पीछे की मान्यता है कि खोपा गांव के पास से गुजरे रेण नदी में बकासुर नामक राक्षस रहता था। बकासुर गांव के ही एक बैगा से प्रसन्न हुआ और वहां रहने लगा। तब से यहां दानव की पूजा होने लगी। यही कारण है कि यहां पंडित या पुजारी नहीं बल्कि बैगा ही पूजा कराते हैं।
लोगों का ये कहना
खोपा धाम में पिछले कई दशक से दूर-दराज से श्रद्धालु पूजा करने आते हैं, इसके बावजूद यहां मंदिर नहीं बनाया गया। इस संबंध में यहां के लोगों का कहना है कि बकासुर नामक राक्षस ने किसी मंदिर या चारदीवारी में बंद करने नहीं कहा था। उसने खुद को स्वतंत्र खुले आसमान के नीचे ही स्थापित करने की बात कही थी।