script3 दिन में 40 एक्सपर्ट ने की मशक्कत, तब इस खतरनाक मादा हाथी को कर पाए बेहोश | Female elephant unconscious when 40 experts very hard work till 3 day | Patrika News
अंबिकापुर

3 दिन में 40 एक्सपर्ट ने की मशक्कत, तब इस खतरनाक मादा हाथी को कर पाए बेहोश

हाथियों का जंगल के भीतर लोकेशन जानने रेडियो कॉलर लगाने की वन विभाग द्वारा चल रही प्रक्रिया

अंबिकापुरJun 16, 2018 / 04:11 pm

rampravesh vishwakarma

Elephant

Elephant

अंबिकापुर. हाथियों का लोकेशन टे्रस करने उन्हें रेडियो कॉलर लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसी कड़ी में शुक्रवार को वन विभाग द्वारा मैनपाट के बुध दल की एक मादा हाथी को ट्रैंक्यूलाइज कर उसमें सेटेलाइट कॉलरिंग की गई है।
17 हाथियों के दल को दो भागों में बांटने के बाद वन विभाग द्वारा तीन दिन तक अभियान चलाकर 40 कर्मचारी व अधिकारियों की मदद से शुक्रवार को दल के सबसे खतरनाक मादा हाथी को बेहोश कर कॉलरिंग की प्रक्रिया पूर्ण की गई।

सेटेलाइट कॉलरिंग करने के लिए भारत सरकार से छत्तीसगढ़ सरकार को अनुमति प्रदान करने के बाद इसका पहला उपयोग सरगुजा वन वृत्त के बलरामपुर वन परिक्षेत्र में सक्रिय ‘बहरादेवÓ हाथी पर किया गया था। सरगुजा वन वृत्त में ९ हाथियों को कॉलरिंग किया जाना है।
इसमें से बुध दल के मादा हाथी के कॉलरिंग करने के साथ वन विभाग द्वारा दो हाथियों को कॉलरिंग कर लिया गया है। मुख्य वन संरक्षक केके बिसेन के नेतृत्व में पिछले तीन दिन से मैनपाट के मेहता प्वाइंट में सक्रिय 17 हाथियों के दल में सबसे खतरनाक मादा हाथी को कॉलरिंग करने के लिए अभियान चलाया गया।
भारतीय वन जीव संस्थान देहरादून के डॉ. पराग निगम, सीनियर बॉयोलॉजिस्ट डॉ. बिवास पंड्या, बॉयोलॉजिस्ट लक्ष्मीनारायण, डॉ. अंकित व वाइल्ड लाइफ एसओएस बैंगलोर के डॉ. स्वामीनाथन , डॉ अरूण शाह की टीम सेटेलाइट कॉलरिंग करने के लिए स्थानीय वन विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर योजना बना रही थी। मैनपाट में 17 हाथियों के दल ने जमकर उत्पात मचाया हुआ है।
इसे ध्यान में रखते हुए वन विभाग द्वारा बुध दल के सबसे खतरनाथ हाथी को कॉलरिंग करने की योजना बनाई गई थी। हाथी को टैं्रक्यूलाइज करने में नंदन कानन के डॉ. जाडिया को भी बुलाया गया था। तीन दिन की मशक्कत के बाद पहले 17 हाथियों को दो अलग-अलग हिस्से में बांटा गया और इसके बाद 9 हाथियों के समूह के साथ चल रही मादा हाथी को शुक्रवार को मैनपाट के मेहता प्वाइंट के जंगल में दोपहर 3.30 बजे सफलतापूर्वक टैं्रक्यूलाइज किया गया।
इसके बाद दक्षिण अफ्रीका से लाए गए सेटेलाइट कॉलरिंग को तामिलनाडू से आए ट्रैकर दल द्वारा लगाया गया। जब सिग्नल मिला और विशेषज्ञों की टीम द्वारा ओके रिपोर्ट दी गई तब जाकर सभी सदस्यों ने राहत की सांस ली। सीसीएफ ने सभी 9 ट्रैकर्स को 5-5 हजार रुपए देकर पुरस्कृत किया।

टीम में इन्हें किया गया शामिल
टीम में सीसीएफ केके बिसेन, डॉ पराग निगम, डॉ. स्वामीनाथन, डॉ अरूण शाह, बिवास पंड्या, लक्ष्मीनारायण, डॉ. अंकित, डॉ. जयकिशोर जाडिया, डॉ. सम्राट, डीएफओ प्रियंका पाण्डेय, एसडीओ चूडामणी सिंह, प्रभात दुबे, शेखु प्रसाद चौबे, अच्छे लाल, विजय तिवारी, शैलेष गुप्ता व अन्य लोगों को शामिल किया गया था।

आवाज निकाल दल को किया अलग
17 हाथियों के बुध दल में यह हथिनी सबसे खतरनाक थी। इसे टैं्रक्यूलाइज करना वन विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी। 17 हाथियों को अलग-अलग दल में बांटने के लिए हाथी विशेषज्ञों की टीम ने जानवरों के अलग-अलग आवाज निकाल दो दल में बांटने में सफलता हासिल की। एक दल में 9 हाथी व दूसरे दल में 8 हाथी में बंट गए। 9 हाथी के दल में मादा हाथी थी। उसे तीन दिन के प्रयास के बाद ट्रैंक्यूलाइज किया जा सका।

एम-99 दवा का उपयोग कर किया डार्ट
पिछली बार बहरादेव को टैं्रक्यूलाइज करने के लिए जिस दवा का उपयोग डॉक्टरों की टीम द्वारा किया गया था। उसमें तीन डार्ट करना पड़ा था। देहरादून के डॉ. पराग निगम द्वारा एम-99 का उपयोग कर मादा हाथी को एक ही डार्ट किया गया, इससे वह बेहोश होकर गिर गई। इसके बाद तामिलनाडू से आए ट्रैकर्स द्वारा कॉलरिंग का पट्टा लगाया गया।

Hindi News / Ambikapur / 3 दिन में 40 एक्सपर्ट ने की मशक्कत, तब इस खतरनाक मादा हाथी को कर पाए बेहोश

ट्रेंडिंग वीडियो