छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में पदस्थ युवा वैज्ञानिक डॉ. प्रशांत शर्मा ने गंदे तालाबों व जाम नालियों की समस्या से निजात दिलाने ई-बॉल तैयार किया है। इसका प्रदर्शन पिछले दिनों रायपुर में हुई राष्ट्रीय कार्यशाला में केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव रूपा मिश्रा व स्वच्छ भारत मिशन के निदेशक विनय झा के समक्ष भी किया गया था।
यहां ई-बॉल के सकारात्मक परिणाम को देखते हुए इसे पूरे देश में उपयोग की हरी झंडी दे दी गई थी। गंदे तालाबों व नालियों की सफाई में इसके सकारात्मक परिणाम को देखते हुए खजुराहो व जोधपुर से 2000-2000 नग ई-बॉल की डिमांड भी आ चुकी है जिसे अंबिकापुर से भेजा जा चुका है।
2 रुपए की आती है लागत
एक ई-बॉल को बनाने में 2 रुपए की लागत आती है। डॉ. प्रशांत ने बताया कि ई-बॉल से तालाब व नालियों की सफाई के अलावा जाम नालियां भी साफ हो जाती हैं। गौरतलब है कि जब नालियां जाम होती हैं तो ऑक्सीजन की कमी से उसमें दुर्गंध उठने लगता है। ई-बॉल को डालने के बाद इससे निजात मिल जाता है।
एक ई-बॉल को बनाने में 2 रुपए की लागत आती है। डॉ. प्रशांत ने बताया कि ई-बॉल से तालाब व नालियों की सफाई के अलावा जाम नालियां भी साफ हो जाती हैं। गौरतलब है कि जब नालियां जाम होती हैं तो ऑक्सीजन की कमी से उसमें दुर्गंध उठने लगता है। ई-बॉल को डालने के बाद इससे निजात मिल जाता है।
खजुराहो के तालाबों-नालियों की हो रही सफाई
खजुराहो के सरकारी महकमें द्वारा ई-बॉल से इन दिनों तालाबों व नालियों की साफ-सफाई करा रहे हैं। इधर जी-20 सम्मिट में शामिल होने विदेशी मेहमान भारत आ रहे हैं। फरवरी के प्रथम सप्ताह में खजुराहो में भी वे संस्कृति कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस दौरान वे वहां के तालाबों व नालियों को भी देखेंगे।
खजुराहो के सरकारी महकमें द्वारा ई-बॉल से इन दिनों तालाबों व नालियों की साफ-सफाई करा रहे हैं। इधर जी-20 सम्मिट में शामिल होने विदेशी मेहमान भारत आ रहे हैं। फरवरी के प्रथम सप्ताह में खजुराहो में भी वे संस्कृति कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस दौरान वे वहां के तालाबों व नालियों को भी देखेंगे।
क्या है ई-बॉल, कैसे करता है काम
ई-बॉल लाभदायक बैक्टीरिया और फंगस का मिश्रण है। इसमें मुख्य रूप से टी-64 और एलबी-2 बैक्टीरिया का उपयोग किया गया है। यह मिश्रण हर पीएच और 45 डिग्री तापमान पर भी सक्रिय होकर काम कर सकता है। ई-बॉल में मौजूद लाभदायक सूक्ष्मजीव नाली या तालाब के गंदे पानी में जाते ही वहां के ऑर्गेनिक वेस्ट से पोषण लेना चालू कर अपनी संख्या में तेजी से वृद्धि करते हैं तथा पानी को साफ करने लगते हैं।
ई-बॉल लाभदायक बैक्टीरिया और फंगस का मिश्रण है। इसमें मुख्य रूप से टी-64 और एलबी-2 बैक्टीरिया का उपयोग किया गया है। यह मिश्रण हर पीएच और 45 डिग्री तापमान पर भी सक्रिय होकर काम कर सकता है। ई-बॉल में मौजूद लाभदायक सूक्ष्मजीव नाली या तालाब के गंदे पानी में जाते ही वहां के ऑर्गेनिक वेस्ट से पोषण लेना चालू कर अपनी संख्या में तेजी से वृद्धि करते हैं तथा पानी को साफ करने लगते हैं।
एक ई-बॉल करीब 100 से 150 मीटर लंबी नाली को साफ कर देता है। एक बार ई-बॉल प्रयोग करने के बाद यह 90 दिन तक प्रभावी रहता है। ई-बॉल के प्रयोग से बार-बार नाली जाम और नाली से उठने वाली बदबू से राहत मिल रही है।
ई-बॉल की डिमांड आई है, भेज भी दिया
हां, हमारे पास ई-बॉल की डिमांड आई है, हमने उसे तैयार कर भेज दिया है, जिसका खजुराहो एवं जोधपुर के तालाबों एवं नालियों में इस्तेमाल किया जा रहा है। खजुराहो में जी-20 सम्मिट कुछ ही दिनों में होना है।
डॉ. प्रशांत शर्मा, वैज्ञानिक, बायोटेक पार्क अंबिकापुर
हां, हमारे पास ई-बॉल की डिमांड आई है, हमने उसे तैयार कर भेज दिया है, जिसका खजुराहो एवं जोधपुर के तालाबों एवं नालियों में इस्तेमाल किया जा रहा है। खजुराहो में जी-20 सम्मिट कुछ ही दिनों में होना है।
डॉ. प्रशांत शर्मा, वैज्ञानिक, बायोटेक पार्क अंबिकापुर