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अंबिकापुर

Delisting Law: डीलिस्टिंग कानून: धर्मांतरित लोगों को एसटी की सूची से बाहर करने की मांग, पीएम को भेजा पोस्टकार्ड

Delisting Law: डीलिस्टिंग कानून के लिए दिल्ली में होने वाली महारैली की सरगुजा में भी जोर-शोर से चल रही तैयारी, जनजाति सुरक्षा मंच सरगुजा की बैठक में पदाधिकारियों ने डीलिस्टिंग को लेकर रखी अपनी बातें

अंबिकापुरJul 10, 2024 / 06:01 pm

rampravesh vishwakarma

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अंबिकापुर. Delisting Law: जनजाति सुरक्षा मंच सरगुजा की जिला स्तरीय बैठक अंबिकापुर में संपन्न हुई। इसमें क्षेत्रीय संयोजक कालू सिंह मुजाल्दा शामिल हुए। उन्होंने कहा कि हमारी सिर्फ एक ही मांग है अनुच्छेद 342 में संशोधन करके जनजाति समाज के रीति-रिवाज, परंपरा, रूढ़ी को छोड़ चुके धर्मांतरित (Conversion) लोगों को अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर किया जाए। साथ ही जनजाति समाज को उनका शत-प्रतिशत आरक्षण और सरकारी सुविधा दिया जाए। इसके लिए पूरे देश में डीलिस्टिंग आंदोलन किया जा रहा है, जिला एवं प्रदेश की महारैलियां हो चुकी हैं। अब दिल्ली में 10 लाख से अधिक जनजाति समाज के लोगों द्वारा महारैली की जाएगी और सरकार से अनुच्छेद 342 में संशोधन करने की मांग की जाएगी।

बैठक में प्रांत सह संयोजक इन्दर भगत ने कहा कि जनजाति सुरक्षा मंच ने पूरे देश के जनजातियों को एक विषय के लिए एकजुट कर दिया है और सभी समाज मिलकर डीलिस्टिंग की आवाज उठा रहे हैं। जनजाति समाज ने देशभर में लगभग 300 जिलों में रैलियां कर कहा है ‘जो नहीं भोलेनाथ का, वो नहीं हमारे जात का।’
अनुसूचित जनजाति वर्ग को आरक्षण उसकी विशिष्ट संस्कृति, परंपराओं के लिए दिया जाता है, लेकिन जिन लोगों ने इन्हीं विशेषताओं को छोड़ दिया है, वही इसका सबसे ज्यादा लाभ उठा रहा है। इससे इस समाज के साथ बहुत बड़ा संवैधानिक और सामाजिक अन्याय हो रहा है। मूल समाज को ही शत-प्रतिशत आरक्षण और शासकीय सुविधाएं मिलनी चाहिए।
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डीलिस्टिंग के बिना जनजाति समाज का विकास संभव नहीं

प्रांत संरक्षक बंशीधर उरांव ने संबोधित करते हुए कहा कि हमारे पूर्वजों का योगदान देश को विधर्मियों से बचाने के लिए था, उनकी गुलामी से मुक्ति के लिए था और इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए हम लोग यह आंदोलन कर रहे हैं। डीलिस्टिंग के बिना जनजाति समाज का सर्वांगीण विकास संभव नहीं है। संस्कृति बचेगी तभी समाज बचेगा।
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बढ़ रहा है सामाजिक तनाव

प्रांत संरक्षक डॉक्टर आजाद भगत ने कहा कि धर्मांतरण के चलते जनजाति समाज में पारिवारिक और सामाजिक तनाव और विघटन हो रहा है। सामाजिक और पारिवारिक व्यवस्थाएं गड़बड़ा रही हैं, डीलिस्टिंग कानून के माध्यम से ही इन समस्याओं से निजात पाया जा सकता है।
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धर्मांतरित जनजातियों द्वारा आरक्षण का बहुत बड़ा हिस्सा का उपभोग करने के चलते जनजाति समाज अपने मूल हक अधिकार को प्राप्त नहीं कर पा रहा है। इस अन्याय को दूर करते हुए अनुच्छेद 342 में संशोधन किया जाना चाहिए।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेजे गए पोस्ट कार्ड

जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा पूरे देश में डीलिस्टिंग कानून के लिए आंदोलन चलाया जा रहा है। वर्तमान में मंच द्वारा जनजाति समाज द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर पोस्ट कार्ड लिखने अभियान चलाया जा रहा है। सरगुजा जिला में भी यह अभियान गांव, मोहल्ला में जोरशोर से चल रहा है।
इसी कड़ी में गंगापुर में धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के बलिदान दिवस पर जुटे जनजातियों ने अनुच्छेद 342 में संशोधन करने की मांग करते हुए डीलिस्टिंग कानून बनाने के लिए पोस्ट कार्ड लिखकर प्रधानमंत्री को भेजा।
अभियान में सुरक्षा मंच के प्रांत सह संयोजक इंदर भगत, रामप्रताप मुंडा, अर्जुन मुंडा, सोनू मुंडा, सोनिया मुंडा, गोपी मुंडा, गौतम मुंडा, शंभू मुंडा, लालू मुंडा, आदित्य मुंडा, विजय मुंडा, सुरेश मुंडा, संतोष मुंडा, आरती मुंडा, अनिता एक्का, रिंकी मुंडा, पूनम मुंडा, श्रेया नागवंशी, बिंदु मुंडा, चिंतामणि मुंडा, सुजाता मुंडा, शालू मुंडा, आरती माला मुंडा, करिश्मा, बाबू नाथ, राधा, अंजली, रीना सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल रहे।

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