दरअसल प्रतापपुर में काम करने के दौरान तीन कर्मचारी 33 केवी हाइटेंशन तार के संपर्क में आ जाने से गंभीर रूप से झुलस गए थे। तीनों मरीजों को प्रतापपुर स्वास्थ्य केन्द्र से अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर किया गया। तीनों मरीजों को संजीवनी 108 से अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल तो लाया गया पर संजीवनी के कर्मचारी जिन्दगी और मौत से जूझ रहे मरीजों का अस्पताल के आपाताकालीन में उपचार कराने की बजाय सौदा करने लगे।
संजीवनी 108 के कर्मचारियों की मदद से तीनों मरीजों को दो निजी एंबुलेंस की मदद से निजी अस्पताल भेज दिया गया। इस पूरे मामले का एक व्यक्ति द्वारा वीडियो मोबाइल से बनाया जा रहा था।
इस दौरान निजी एंबुलेंस संचालक द्वारा उक्त व्यक्ति के साथ गाली-गलौज व मारपीट भी की गई। इससे स्पष्ट है कि संजीवनी 108, निजी एंबुलेंस संचालक व निजी अस्पताल एक गिरोह के रूप में काम कर रहे हैं।
ये था मामला
बुधवार को प्रतापपुर मंडी में लाइट लगाने का काम चल रहा था। मंडी के ऊपर से ३३ केवी का हाइटेंशन तार गुजरा हुआ है। कामा के दौरा लोहे की सिढ़ी हाइटेंशन तार के संपर्क में आ जाने से तीन मजदूर गंभीर रूप से झूलस गए थे। मेराज खान, राजन व अजय को इलाज के लिए प्रतापपुर अस्पताल ले जाया गया।
यहां स्थिाति को गंभीर देखते हुए चिकित्सकों ने अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया था। संजीवनी 108 क्रमांक सजी 04 एनडी 6187 से तीनों को अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज लाया तो गया पर संजीवनी के कर्मचारियों द्वारा मरीजों को आपातकालीन डॉक्टर से दिखाने के बजाए निजी एंबुलेंस संचालक से संपर्क कर प्रइवेट अस्पताल भेज दिया गया। इनका पहले से ही सांठगांठ था।
वीडियो बनाने पर मारपीट पर उतारू
मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में संजीवनी 108 से मरीजों को उतार कर निजी एंबुलेंस में शिफ्ट किया जा रहा था। इस दौरान एक व्यक्ति द्वारा पूरे मामले का वीडियो बनाया जा रहा था। जब निजी एंबुलेंस संचालक नगर सैनिक के बेटे की नजर उस पर पड़ी तो वह आग बबूला हो गया और अपने साथियों के साथ वीडियो बना रहे युवक के साथ गाली गलौज व मारपीट करने लगा। इस दौरान वीडियो बना रहा युवक ने किसी तरह भाग कर अपनी जान बचाई।
‘निजी एंबुलेंस के कर्मचारी जबरन मरीजों को ले गए’
संजीवनी 108 के जिला नोडल अधिकारी लोकेश्वर जंघेल ने इस मामले में बताया कि बुधवार की रात को संजीवनी के कर्मचारियेां द्वारा प्रतापपुर से मरीजों को मेडिकल कॉलेज अस्पताल लाया गया था। अस्पताल परिसर के अंदर संजीवनी घुसते ही प्राइवेट एंबुलस वाले पहुंचे और जबरन मरीजों को अपने एंबुलेंस में बैठाकर ले गए। जबकि संजीवनी 108 का चालक काफी देर तक आपातकालीन के सामने रूक कर निजी एंबुलेंस का इंतजार कर रहा था।
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निजी एंबुलेंस से मरीजों को प्राइवेट अस्पताल ले जाने के पहले भी आ चुके हैं मामले
संजीवनी 108 व निजी एंबुलेंस संचालकों के बीच गहरी साठगांठ है। इसमें शहर के निजी अस्पताल भी शामिल हंै। निजी अस्पताल से मरीजों को बहला फुसला कर अच्छा इलाज कराने का झांस देकर प्राइवेट अस्पताल ले जाने का पहले भी कई बार मामले सामने आ चुके हैं।
इस गंभीर समस्या को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने सख्त कार्रवाई करने के निर्देश मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रशासन को दिए थे। इसके बाद मेडिकल कॉलेज द्वारा सिक्योरिटी गार्ड की तैनाती की गई थी। निजी एंबुलेंस के परिसर में प्रवेश पर वर्जित किया गया था। इसके बावजूद भी ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं।