कोरोना (Covid-19) के संकट काल में डॉक्टरों की भूमिका और ज्यादा महत्वपूर्ण साबित हुई है। कोरोना की शुरूआत के साथ ही इसे लेकर डर और दहशत का माहौल भी बन रहा था। नया वायरस होने के चलते इसके बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं थी। इस स्थिति में मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मेडिसिन विभाग के डॉक्टर अशोक टोप्पो ने अन्य डॉक्टरों को रास्ता दिखाने का काम किया।
डॉक्टर अशोक टोप्पो का कहना है कि जिस समय जिले में कोरोना का पहला केस आया, उस समय सबसे पहले मेरी ड्यूटी लगाई गई थी। एचओडी डॉ. लखन सिंह ने हौसला बढ़ाते हुए कोविड वार्ड में ड्यूटी करने को कहा था।
इसके बाद अन्य डॉक्टरों (Doctors) ने भी अपनी ड्यूटी देनी शुरू कर दी। हालांकि मई महीने में कोविड ड्यूटी करने के दौरान मैं कोरोना पॉजिटिव हो गया था। इसके बाद डर सा लग रहा था।
संपर्क में आने से पत्नी व बच्ची भी संक्रमित
डॉक्टर अशोक टोप्पो ने बताया कि मई महीने में कोविड ड्यूटी कर वापस लौटा तो में कोरोना संक्रमित हो गया था। इसी बीच मेरे संपर्क में आने से मरी पत्नी दीपिका टोप्पो भी संक्रमित हो गईं। जो कि पीजी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पदस्थ हैं। इसके बाद ढाई साल की बेटी भी कोरोना पॉजिटिव (Corona positive) हो गई। फिर हम सभी कोरोना से जंग जीतकर स्वस्थ हुए।
कोरोना से जंग जीत कर पुन: की ड्यूटी
डॉ. अशोक टोप्पो पहली बार मई महीने में कोरोना मरीजों के उपचार के दौरान संक्रमित हो गए थे। कोरोना को मात देकर स्वस्थ होने के बाद पुन: अपनी ड्यूटी शुरू कर दी। इसके बाद १५ नवंबर से १७ दिनों तक पुन: कोविड सेंटर में जाकर अपनी ड्यूटी दी और संक्रमित मरीजों का उपचार किया। इसके बाद डॉ. टोप्पो होम आइसोलेशन में हैं।