सीतापुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लडऩे की मंशा जाहिर करते हुए शांति देवी ने कहा यह चुनाव अब सिर्फ दो पार्टियों के जीत-हार तक सीमित नहीं है, बल्कि स्थानीय व बाहरी प्रत्याशी को लेकर चुनाव होगा।
उन्होंने कहा जिसे क्षेत्र के मूल निवासियों से कोई लेना-देना नहीं है, जिनके लिए बाहरी लोग ही सबकुछ हैं, आखिर कब तक हम ऐसे व्यक्ति को सुनते रहेंगे। स्थानीय स्तर के सामान्य एवं आदिवासी वर्ग के नेताओं को उन्होंने स्थानीय राजनीति से अलग कर दिया है।
विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर वे क्षेत्र के मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी बातों को रखेंगी। उन्होंने कहा इनके कार्यक्रम से उन्हें कोई लेना-देना नहीं है। विश्व आदिवासी दिवस पर उनका पृथक से आयोजन दिन में 9 से एक बजे तक होगा।
लगभग सभी पंचायतों में खाद्य मंत्री का विरोध
जनपद अध्यक्ष ने दावा किया कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ के खाद्य मंत्री एवं स्थानीय विधायक अमरजीत भगत के विरोध में सीतापुर, बतौली, मैनपाट व अंबिकापुर ब्लॉक के लगभग सभी पंचायत हैं। खासकर आदिवासी वर्ग में इनका विरोध चरम पर है।
स्थानीय स्तर के महिला संगठन, महिला समूह सामाजिक संगठन सभी की मांग सीतापुर विस क्षेत्र में अपना प्रत्याशी बदलने और ऐसे व्यक्ति को टिकट देने की है, जो स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दे। उन्होंने कहा हमारी लड़ाई स्थानीय विधायक से व्यक्तिगत नहीं, आदिवासियों व स्थानीय लोगों के सम्मान, क्षेत्र के विकास, स्थानीय मुद्दों, उनकी और हमारी सोच की भिन्नता को लेकर है।
सर्वाधिक फर्जी वनाधिकार पत्र बना
शांति देवी ने पत्रकारों के समक्ष आरोप लगाया कि पिछले चार वर्षों के कार्यकाल में सबसे ज्यादा फर्जी वन अधिकार पत्र इनके समय में बना है। कई पर कार्रवाई हो रही है, कई मामलों को दबा दिया गया है।
शिकायत की कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। सीतापुर क्षेत्र ही नहीं, बल्कि जिले में बैठे अधिकारी भी मंत्री अमरजीत भगत व उनके नजदीकी लोगों की सुनते हैं। थाना से लेकर तहसील कार्यालय तक हर जगह केवल उनकी सुनी जाती है, आम जनता परेशान है। इन मामलों को उठाने वाले पर कार्रवाई कर दी जाती है, एफआईआर तक हो जाती है।