इनमें पानी भरा होता है। इनसे रोजाना ट्रैक्टर एवं मिनी ट्रक में कोयले की तस्करी होती है। पुलिस समय-समय पर दिखावे की कार्यवाही करके पुलिस कप्तान के सामने अपनी पीठ थपथपा लेेती है।
अम्बिकापुर से महज 20 किलोमीटर दूर स्थित यह इलाका लखनपुर थाना क्षेत्र का है। शुक्रवार की रात पत्रिका की टीम इस इलाके में पहुंची। टीम के पहुंचते ही तस्करी में लगे ग्रामीण एवं सरगना वहां से भाग खड़े हुए।
अम्बिकापुर से महज 20 किलोमीटर दूर स्थित यह इलाका लखनपुर थाना क्षेत्र का है। शुक्रवार की रात पत्रिका की टीम इस इलाके में पहुंची। टीम के पहुंचते ही तस्करी में लगे ग्रामीण एवं सरगना वहां से भाग खड़े हुए।
तस्करों ने इन गड्ढों से पानी निकलने के लिए पम्प तक लगा रखे थे। वे पम्प लेकर भाग निकले लेकिन पाइप्स वहीं छोड़ गए। सुबह जब मामले में टीम ने ग्रामीणों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान यहां धड़ल्ले से काम चला है। यह सिलसिला वर्षों से बदस्तूर जारी है। ग्रामीणों का आरोप है कि तस्कर लखनपुर थाने को रुपए भी देते हैं।
आईएएस छिकारा ने लगाई थी रोक
आईएएस आकाश छिकारा को पूर्व कलक्टर ने कुछ महीनों के लिए इस इलाके की कमान सौंपी थी। इस दौरान वे खासे सख्त नजर आए थे। ग्रामीणों का कहना है कि वे रात में भी छापे मरते थे। तस्करों ने उनके खौफ से कुछ दिन इस गोरखधंधे से दूरी बना ली थी।
15 हजार रुपए में एक गड्ढे की अनुमति
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लखनपुर थाने को एक नए गड्ढे के लिए 15 हजार रुपए तस्कर देते हैं। यह कीमत कभी-कभी 20 हजार रुपए तक होती है। खास बात यह है कि इन गड्ढों से निकले कोयले को खरीदने वाला भी पुलिस को रुपए देता है।
थानेदार ने रिसीव नहीं किया कॉल
पत्रिका की टीम ने 3 मर्तबा इस मामले में बातचीत के लिए लखनपुर थाना प्रभारी मनोज प्रजापति को कॉल किया। उन्हें दोपहर करीब ढाई बजे 2 बार एवं शाम 5 बजे एक बार कॉल किया गया था। उन्होंने एक भी कॉल रिसीव नहीं किया।
पत्रिका की टीम ने 3 मर्तबा इस मामले में बातचीत के लिए लखनपुर थाना प्रभारी मनोज प्रजापति को कॉल किया। उन्हें दोपहर करीब ढाई बजे 2 बार एवं शाम 5 बजे एक बार कॉल किया गया था। उन्होंने एक भी कॉल रिसीव नहीं किया।